Sunday, November 27, 2022

जबतक है वफ़ा- दिल में मेरे (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)


जबतक है वफ़ा


जबतक है वफ़ा-
दिल में मेरे,
तबतक मेरी ये-
सांस चले |

वफ़ा जो तोडूँ-
तुझसे मैं सनम,
सांस की शाम-
मेरी ये ढले |

और जबतक है तू-
मेरी तबतक,
जीने की मेरी -
आश चले |

दूर रहना नहीं-
मुझको तुझसे,
पास रहे तू-
मेरे साथ चले |

जबतक है वफ़ा-
दिल में मेरे,
तबतक मेरी ये-
सांस चले ||


अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Saturday, November 19, 2022

तेरे पास जब भी बैठूँ (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तेरे पास जब भी बैठूँ

तेरे पास जब भी बैठूँ-
साँसे ये बढ़ जाती है,
तेरी ज़ुल्फ़ों की खुशबू वो प्यारी,
 नैनों का नशा नशीला सा,
नश-नश में मेरे-
चढ़ जाती है |

न मुझको कोई होश हो-
देखकर तुझको मदहोश हों,
दिल को न हो-
दिल की खबर,
दुनिया से हो-
दिल बेखबर,
नज़रें निहारें तेरे नैना,
ज़िद पर यूँ अड़ जाती है,
ये साँस मेरी-
हर साँस में फिर,
तेरे इश्क में पड़ जाती है |

पास तेरे जब भी बैठूं-
मेरी साँसे क्यूँ बढ़ जाती है |


अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Sunday, November 13, 2022

तभी तो जीता हूँ (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तभी तो जीता हूँ 


वो तेरी नटखट नादानियाँ-
वो तेरी शरारत की कहानियाँ,
याद करता हूँ-
तभी तो जीता हूँ |

दूर हूँ तुझसे -
फिर भी,
तेरी तस्वीर लिए-
दिल में,
तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों की याद-
तेरे लाल होठों की मिठास ,
वो तेरा परेशां करना मुझको-
वो सब कुछ -
बनकर मेरी सांस ,
मेरी धड़कन चलाती है |

तेरे रूप के सागर में-
मैं खोया रहता हूँ,
अकेला रहकर भी-
तेरी याद मुझे ,
खुशहाल बनती है |

कभी तो आकर मिल-
कि तेरी याद मुझे -
बेहद सताती है |

वो तेरी नटखट नादानियाँ-
वो तेरी शरारत की कहानियाँ,
याद करता हूँ-
तभी तो जीता हूँ |



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Saturday, November 5, 2022

तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ, (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ,



तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ,
तेरे ख्वाबों में जीता -
बेहतरीन अफसाना हूँ |

तेरी अदाओं के तीर -
जो चले मुझपर,
दुनिया से मैं-
बेखबर, बेगाना हूँ |

जानता था पहले मैं,
शहर भर को-
अबतो खुद से ही,
अंजाना हूँ |

तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ |

हाय ! की जबसे देखी है-
तेरी नज़र,
ये दिल को करे बेचैन-
मुझपर ढाये कहर |

अदाएं हैं तेरी-
कि जीने न दे,
लगा मुझको सीने से -
या लगूँ मौत के गले मैं-
खाकर ज़हर |

तेरी खातिर बन गया आवारा हूँ,
तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ |




अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Tuesday, November 1, 2022

रूठकर मुझसे (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

रूठकर मुझसे

रूठकर मुझसे-
न यूँ  मुझको; 
परेशां किया करो,
मेरी रूह-
मेरी सॉंस-
धड़कन मेरी-
सब है तेरा,
थोड़ा सा तो मुझपर-
यकीन किया करो|

काली घटा भी मुझको-
इतना न भाए,
जितनी की तेरी -
ज़ुल्फ़ की घटायें |

मैं तो दीवाना हूँ-
हरपल तेरा ,
तेरी अदाएं-
मुझपर जादू चलाएं |

अपनी ये दूरी-
मुझको रुलाये,
रब से मैं मांगू-
की तुझसे मिलाये |

की आँखे वो उसकी-
जिनमे हूँ मैं,
रब मेरे हिस्से की खुशियाँ-
उनको दिया करो,
रूठकर मुझसे-
न यूँ मुझको परेशां किया करो |





अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

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