स्वर्ग की कोई अप्सरा
स्वर्ग की कोई अप्सरा-
ज़मीं पर उतर आई है|
खेलती, झूमती,
हवा को चूमती,
मुस्कुराकर फूलों में-
बेहद हसीं पुष्प बनकर घूमती |
खुली ज़ुल्फ़ों को लहराई-
बादल रह गए आसमाँ में ,
वो चाँद बनकर-
ज़मीं पर आई |
हर तरफ हरियाली है-
उसके होंठों पर लाली छाई है,
पैरों को झुलाती-
छेड़ती फूलों को,
आसमाँ में उड़ने की-
चाहत ले आई है |
उसके हंसने से-
और भी खिल उठे फूल सारे-
ज़मीं पर वो जैसे-
स्वर्ग लेकर आई है |
स्वर्ग की वो अप्सरा-
ज़मीं पर उतर आई है |