तेरी ये दूरी
तेरी ये दूरी-
मुझसे सही न जाये,
तुझे सामने मैं देखूं-
तू पास मेरे आये |
तू दूर इतनी है मुझसे कि-
पास मैं न आ पाऊँ,
तेरे गम में साथ रहकर-
ज़ुल्फ़ें सुलझा न पाऊँ,
रोना जो तू चाहे -
गले से तुझे लगाऊं,
कि बैठकर तू मुझसे-
बातें करे कुछ प्यारी,
तुझे देखते हुए मैं-
कुछ ख्वाब नए सजाऊँ |
देखकर तेरी मुस्कराहट-
इक अजब ख़ुशी मिलती है,
तेरे चाँद से मुखड़े में-
रूह मेरी खिलती है |
तेरे पास आने को-
तुझे गले से लगाने को,
बेचैन मन कितना है-
ये व्यथा कही न जाये |
तेरी ये दूरी-
मुझसे सही न जाये |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'