Tuesday, August 16, 2022

तेरा रूठना (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

 तेरा रूठना


तेरा रूठना कि-

लगे सारा जहाँ-

हाथों से फिसला जा रह है|

तेरा बात न करना-

की लगे मेरा दम,

निकला जा रहा है|


तू है तो बनेंगे-

कई महल लेकिन,

इक तेरे न होने से-

मेरे दिल का घर,

उजड़ा जा रहा है |


हवा चले-

आंधियां आये ,

तूफ़ान कोशिश करे पूरी,

पर अटल हूँ मैं,

सिर्फ इक साथ हो तेरा,

तेरे दूर जाने से लेकिन-

मेरी सांसों से-

मेरा जीवन बिखरा जा रहा है |


तेरा रूठना की-

लगे सारा जहाँ,

हाथों से फिसला जा रहा है |


 अम्बरीष चन्द्र  'भारत'




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