Saturday, November 19, 2022

तेरे पास जब भी बैठूँ (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तेरे पास जब भी बैठूँ

तेरे पास जब भी बैठूँ-
साँसे ये बढ़ जाती है,
तेरी ज़ुल्फ़ों की खुशबू वो प्यारी,
 नैनों का नशा नशीला सा,
नश-नश में मेरे-
चढ़ जाती है |

न मुझको कोई होश हो-
देखकर तुझको मदहोश हों,
दिल को न हो-
दिल की खबर,
दुनिया से हो-
दिल बेखबर,
नज़रें निहारें तेरे नैना,
ज़िद पर यूँ अड़ जाती है,
ये साँस मेरी-
हर साँस में फिर,
तेरे इश्क में पड़ जाती है |

पास तेरे जब भी बैठूं-
मेरी साँसे क्यूँ बढ़ जाती है |


अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

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