अदाएं रखती हो
बातों में नशा रखती हो-
सुनकर बातें तेरी
दूर हो जाते है ग़म,
सुना है होठों पर तुम अपने-
हर ज़ख्म की दवा रखती हो |
सुकून मिले दिल को जिससे-
चेहरे पर मुस्कराहट की-
ऐसी चमक रखती हो,
दिल झूम उठे-
सुनकर आवाज़ तेरी,
सुना है बोली में अपनी-
सितार की झनक रखती हो |
जब भी मिलता हूँ-
नज़र तुमसे हटती नहीं,
जबकि मालूम है हमें -
नज़रों पर करदे जादू-टोना -
ऐसी नज़र रखती हो |
तेरी नज़रों में देखता हूँ-
की कुछ तो चाहत तुम भी रखती हो,
लड़खड़ाते हैं अल्फ़ाज़ तेरे-
मुझसे बातें करते हुए,
हो न हो दिल के किसी कोने में-
मेरी मोहब्बत तुम भी रखती हो |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'