तभी तो जीता हूँ
वो तेरी नटखट नादानियाँ-
वो तेरी शरारत की कहानियाँ,
याद करता हूँ-
तभी तो जीता हूँ |
दूर हूँ तुझसे -
फिर भी,
तेरी तस्वीर लिए-
दिल में,
तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों की याद-
तेरे लाल होठों की मिठास ,
वो तेरा परेशां करना मुझको-
वो सब कुछ -
बनकर मेरी सांस ,
मेरी धड़कन चलाती है |
तेरे रूप के सागर में-
मैं खोया रहता हूँ,
अकेला रहकर भी-
तेरी याद मुझे ,
खुशहाल बनती है |
कभी तो आकर मिल-
कि तेरी याद मुझे -
बेहद सताती है |
वो तेरी नटखट नादानियाँ-
वो तेरी शरारत की कहानियाँ,
याद करता हूँ-
तभी तो जीता हूँ |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'