Sunday, November 13, 2022

तभी तो जीता हूँ (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तभी तो जीता हूँ 


वो तेरी नटखट नादानियाँ-
वो तेरी शरारत की कहानियाँ,
याद करता हूँ-
तभी तो जीता हूँ |

दूर हूँ तुझसे -
फिर भी,
तेरी तस्वीर लिए-
दिल में,
तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों की याद-
तेरे लाल होठों की मिठास ,
वो तेरा परेशां करना मुझको-
वो सब कुछ -
बनकर मेरी सांस ,
मेरी धड़कन चलाती है |

तेरे रूप के सागर में-
मैं खोया रहता हूँ,
अकेला रहकर भी-
तेरी याद मुझे ,
खुशहाल बनती है |

कभी तो आकर मिल-
कि तेरी याद मुझे -
बेहद सताती है |

वो तेरी नटखट नादानियाँ-
वो तेरी शरारत की कहानियाँ,
याद करता हूँ-
तभी तो जीता हूँ |



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

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