आज बारिश कुछ यूँ हुई
आज बारिश कुछ यूँ हुई -
की दिल को याद-
तेरी आ ही गयी ,
काश के सिर्फ एक झलक-
ही मिल जाये तेरी,
दिल में रब से -
फ़रियाद आ ही गयी |
मैं बैठा इक कप चाय लिए-
खोया था तेरे ख्यालों में,
इक भीगी हुयी बला आयी -
भीगे हुए बालों में,
इक नज़र पड़ी उसपर-
नज़रों ने उससे नज़र हटा ली,
मैं देखने लगा बारिश-
घनघोर गर्जन घटा ने ली|
मैं याद करने लगा वो पल-
जब साथ मेरे तुम कभी थी,
इक चाय का प्याला-
जूठा तुम्हारा,
मिठास की न कोई कमी थी |
छत पर जब हम साथ जाते-
बारिश के झीने झरने में नहाते,
भीगे हुए तेरे वो केशू -
उँगलियों से जिनको,
हम थे सुलझाते |
गालों पर तेरे -
बारिश के मोती,
उँगलियों से थे हम उठाते-
लाल अधर पर -
ठहरे मोती,
लबों से तेरे चूम जाते |
बारिश जवाँ -
और हुस्न तेरा,
कैसे सनम खुद को बचाते?
तेरी निगाहों का -
मुझपर जादू ,
बारिश का मौसम -
रहे कैसे काबू?
दिल की हालत-
क्या हम बताते?
मेरे कातिल -
हम मर ही जाते |
आज तन्हा बारिश में बैठे-
उन पलों में हम है जाते,
याद कर लेते है उनको-
सांसों को जो मेरी चलाते |
तेरी यादें लिए-
दूर बैठे बारिश से हम,
दिल नहीं कहता है मुझसे-
चल कि तन्हा हम नहाते |
तेरी नज़रे पड़े तो -
बिन बारिश के भी,
हम भीग जाते |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'