चंद ख्वाहिश
मेरे सीने में है जो दिल-
उसे कई ज़ख्म दिए
'दुनियावालों ने'
तुम अपनी मासूम नज़रों से-
दिल को मेरे दवा तो दो |
लग रहा है कि-
चंद घड़ियों का हूँ-
मेहमां अब,
बैठो मेरे सामने,
आये सुकून से मौत मुझे-
ये दुआ तो दो |
ता उम्र खेला-
जिन्होंने मेरे दिल से,
इसको खिलौना समझकर-
न मिले इनको-
कोई टूटकर मोहब्बत करने वाला,
ये बद्दुआ तो दो |
वो जल रहा है चिराग-
जो हमें दूर कर रहा है,
लगा लो गले मुझे-
मेरे मरने से पहले,
मगर वो चिराग बुझा तो दो |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'