Saturday, October 1, 2022

चंद ख्वाहिश (AMAR BHARAT)

चंद ख्वाहिश


मेरे सीने में है जो दिल-
उसे कई ज़ख्म दिए 
'दुनियावालों ने'
तुम अपनी मासूम नज़रों से-
दिल को मेरे दवा तो दो |

लग रहा है कि-
चंद घड़ियों का हूँ-
मेहमां अब,
बैठो मेरे सामने,
आये सुकून से मौत मुझे-
ये दुआ तो दो |

ता उम्र खेला-
जिन्होंने मेरे दिल से,
इसको खिलौना समझकर-
न मिले इनको-
कोई टूटकर मोहब्बत करने वाला,
ये बद्दुआ तो दो |

वो जल रहा है चिराग-
जो हमें दूर कर रहा है,
लगा लो गले मुझे-
मेरे मरने से पहले,
मगर वो चिराग बुझा तो दो |



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

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बेरोजगार तो वो होता है जो दिन भर सोता है, कमाता भी नहीं, मैं बेरोजगार नहीं हूं, दिन भर योगी सरकार के लाखों रोजगार वाली खबर पढ़ता हूं। पिता ज...