चाँद को पाने की हसरत
बेहद हसीं हो तुम-
तुम्हे पाने की चाहत करना
जैसे चाँद को पाने की-
हसरत बेशुमार है ।
नज़रों ने देखा है-
तुम्हें जबसे
इन निगाहों में बस-
तेरा ही खुमार है ।
करके तेरी तारीफ -
तुझे दीवाना करने का वादा है,
लाकर तुझे आईने के सामने -
तुझे तेरे ही हुस्न के -
वश में करने का इरादा है ।
तू देख नज़रें न हटा -
उस आईने से ,
हो जाएगी बेक़रार तू भी -
बनकर दीवानी सी घूमेगी
हो जायेगा जब प्यार -
तुझे तुझसे ,
तब शायद-
मेरा दिल- ऐ - हाल
तू समझेगी ।
क्यों तड़पता है मेरा दिल-
तुझे पाने को ,
क्यों तुझे देखने को
मेरी नज़रें बेक़रार हैं ?
बेहद हसीं हो तुम-
तुम्हे पाने की चाहत करना
जैसे चांद को पाने की-
हसरत बेशुमार है ।
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'
दिल बेकरार होता है
कोई समझता ही नहीं -
दिल में बेचैनी बेशुमार है
सिर्फ एक बार तुम्हें देखे -
नज़रों को तेरा इंतज़ार है ।
क्या जाने वो कि -
कैसा दिल का हाल होता है ?
तड़प , रात- दिन -
ख़ामोशी मन की गहराई में
ख़्वाहिश सिर्फ इतनी
की सुनूँ आवाज़ तेरी
न जाने क्यों तेरी खातिर -
मेरा मन ये रोता है ?
क्या जाने तू कि -
कैसे दिल बेहाल होता है ?
देखलूं बस इक बार रूप तेरा -
मन में बसी जैसे
कस्तूरी हो मृग भीतर -
तलाशता फिरूं फिर भी ,
न मिले -
ये प्रेम है -
ऐसा ही हर दिल का
हाल होता है ।
तड़प हर क्षण रहे मन में -
ऐसा हसीं प्यार होता है,
की वो जो अपना सा है-
उसकी खातिर
दिल बेकरार होता है ।
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'