Sunday, August 28, 2022

चाँद को पाने की हसरत (AMBRISH CHANDRA BHARAT)



चाँद को पाने की हसरत

बेहद हसीं हो तुम-
तुम्हे पाने की चाहत करना 
जैसे चाँद को पाने की-
हसरत बेशुमार है ।

नज़रों ने देखा है- 
तुम्हें जबसे 
इन निगाहों में बस-
तेरा ही खुमार है ।

करके तेरी तारीफ -
तुझे दीवाना करने का वादा है, 
लाकर तुझे आईने के सामने -
तुझे तेरे ही हुस्न के -
वश में करने का इरादा है ।

तू देख नज़रें न हटा -
उस आईने से ,
हो जाएगी बेक़रार तू भी -
बनकर दीवानी सी घूमेगी 
हो जायेगा जब प्यार -
तुझे तुझसे ,
तब शायद-
मेरा दिल- ऐ - हाल 
तू समझेगी ।

क्यों तड़पता है मेरा दिल-
तुझे पाने को ,
क्यों तुझे देखने को 
मेरी नज़रें बेक़रार हैं ?

बेहद हसीं हो तुम-
तुम्हे पाने की चाहत करना 
जैसे चांद को पाने की-
हसरत बेशुमार है ।

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'


दिल बेकरार होता  है 

कोई समझता ही नहीं -
दिल में बेचैनी बेशुमार है 
सिर्फ एक बार तुम्हें देखे -
नज़रों को तेरा इंतज़ार है ।

क्या जाने वो कि -
कैसा दिल का हाल होता है ?
तड़प , रात- दिन -
ख़ामोशी मन की गहराई में 
ख़्वाहिश सिर्फ इतनी 
की सुनूँ आवाज़ तेरी 
न जाने क्यों तेरी खातिर -
मेरा मन ये रोता है ?
क्या जाने तू  कि -
कैसे दिल बेहाल होता है ?

देखलूं बस इक बार रूप तेरा -
मन में बसी जैसे 
कस्तूरी हो मृग भीतर -
तलाशता फिरूं फिर भी ,
न मिले -
ये प्रेम है -
ऐसा ही हर दिल का
हाल होता है ।

तड़प हर क्षण रहे मन में -
ऐसा हसीं प्यार होता है, 
की वो जो अपना सा है- 
उसकी खातिर 
दिल बेकरार होता है ।

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'

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