Thursday, September 8, 2022

डेढ़ चाँद (AMAR BHARAT)


डेढ़ चाँद

कल रात डेढ़ चाँद मुझे-
छत पर नज़र आया था,
मैं देख रहा था-
आधे चाँद को छत पर ,
और पास मेरे-
पूरा चाँद आया था |
कल रात डेढ़ चाँद मुझे-
छत पर नज़र आया था |

आधे चाँद पर-
काले बादलों का साया था,
पूरे चाँद को-
काली ज़ुल्फ़ों ने सजाया था |

रहकर पास मेरे-
वो चाँद मुस्कुराया था,
बहुत देर तक हुई बातें उससे,
मेरे दिल को-
बेहद सुकून आया था |
कल रात डेढ़ चाँद मुझे-
छत पर नज़र आया था |

हुई सवेर-
मैं उठकर चला आया था-
रूठ बैठा मेरा चाँद मुझसे,
आने के पल-
उसे ह्रदय से जो न लगाया था |

बहुत ख़फ़ा है-
मेरा चाँद मुझसे,
उसके दिल को जो दुखाया था |
पर वो पल -
बेहद हसीं रब ने बनाया था,
कल रात डेढ़ चाँद मुझे-
छत पर नज़र आया था |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'



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