Tuesday, August 30, 2022

मदहोश करने के लिए (AMAR BHARAT)

 मदहोश करने के लिए 

एक मयकश निगाह काफी है तेरी -
मुझको मदहोश करने के लिए,
ज़ुल्फ़ों को खोलकर बांधती हो -
मुझे मदहोश करने के लिए |

अच्छा है कि-
लहराओ हसीं ज़ुल्फ़ों को,
मुझे मदहोश करदो,
मेरी हसरत है कि-
चूम लो मेरे होंठों को,
और मुझको बेहोश करदो |

बेशुमार चाहत लिए-
तुझे देखने को ,
मचलता है दिल-
पास आओ रखदो -
सीने पर हाथ ,
मेरे दिल को खामोश करदो |

बाँध कर गेसुओं को-
जो इक लट आज़ाद रखती हो,
कसम रब कि-
मेरे दिल को जीतने का -
हुनर और अंदाज़ रखती हो |

उठाकर लट जो माथे से-
कानों पर  ले जाती हो,
नादान आशिक हूँ तेरा अबोध
क्यों मेरे दिल को बहकाती हो |

बिना आहट के ही तेरी-
हवा जैसे कि पैग़ाम लाती हो,
महफ़िल कि धड़कने खिल उठती हैं-
जो नूर-ए-नज़र आप आती हो |

क़दमों को जकड कर 
रोक लेता हूँ-
ये बढ़ते हैं तुझे,
आगोश में करने के लिए-
एक मयकश निगाह काफी है तेरी-
मुझको बेहोश करने के लिए,
ज़ुल्फ़ों को खोलकर बांधती हो -
मुझे मदहोश करने के लिए |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'





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