शिक्षक
मिटटी का कोई मोल नहीं-
पत्थर में कोई बोल नहीं,
आकार दे मिटटी को जो-
पत्थर को जो तराश दे,
ज्ञान से हमे नाम दे-
समाज में इक पहचान दे,
अज्ञान नष्ट करने वाले-
ऐसे गुरुजनों का कोई मोल नहीं,
बिन ज्ञान के हम भी थे-
मिटटी, पर मिटटी का कोई मोल नहीं |
लाखों भी खर्च कर दे मगर-
बिन गुरू के ज्ञान मिलता नहीं,
सच्चा गुरू गर ज्ञान दे-
मन बाधाओं में हिलता नहीं |
कहते है वेद-
बिन गुरू के,
मिलते कहीं भगवान नहीं,
गुरू से मिला ज्ञान जिसको-
बना सदा महान वही |
ईश्वर से पहले-
स्थान जिनका ,
सर्वोपरि सम्मान है-
गुरू है माता-पिता के जैसे-
धरती पर वो ही भगवान है,
मिला गुरू सच्चा जिसको-
कदमो में रहा जहान है |