Friday, August 26, 2022

तो कुछ और बात है (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

तो कुछ और बात है |

पूरी धरा भी साथ दे-
तो और बात है,
तू ज़रा भी साथ दे-
तो कुछ और बात है |

चलने को तो बिन पैर के-
चल रहे है कई लोग यहाँ,
कोई अपना भी साथ दे-
तो कोई और बात है |

यूँ तो कई गैर है-
जो कहते हैं अपना हमें,
पर इन मुश्किलों में -
वो जो अपना है,
वो साथ दे -
तो कोई और बात है |

जानते तो हम भी है -
की राहों में बाधाएँ आएंगी,
वो बाटे जो दर्द ज़रा भी-
तो कोई और बात है |

वाकिफ हम भी हो चुके हैं-
अपनी राह के काँटों से,
वो तैयार हो मरहम लगाने को-
तो कोई और बात है |

यूँ तो कठिन है-
रात भर जागकर,
किताबों से आंख मिलाना-
बीच - बीच वो-
पूछे मेरा हाल,
तो कोई और बात है |

टकरा तो हम जायेंगे-
सामने पहाड़ हो तब भी,
वो हारने न दे-
हौंसला बढ़ा दे-
तो कोई और बात है |

नज़रें तो हम मिला लेंगे-
दहकते सूरज से भी,
वो अपनी परछाई दे हमपर-
तो कोई और बात है |

पसीना क्या है?
लहू भी बहा दे-
मंज़िल की राह में,
तू बस हाथों में हाथ रख दे-
तो फिर क्या बात है |


अम्बरीष चन्द्र  'भारत'



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