Tuesday, August 16, 2022

तेरा रूठना (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

 तेरा रूठना


तेरा रूठना कि-

लगे सारा जहाँ-

हाथों से फिसला जा रह है|

तेरा बात न करना-

की लगे मेरा दम,

निकला जा रहा है|


तू है तो बनेंगे-

कई महल लेकिन,

इक तेरे न होने से-

मेरे दिल का घर,

उजड़ा जा रहा है |


हवा चले-

आंधियां आये ,

तूफ़ान कोशिश करे पूरी,

पर अटल हूँ मैं,

सिर्फ इक साथ हो तेरा,

तेरे दूर जाने से लेकिन-

मेरी सांसों से-

मेरा जीवन बिखरा जा रहा है |


तेरा रूठना की-

लगे सारा जहाँ,

हाथों से फिसला जा रहा है |


 अम्बरीष चन्द्र  'भारत'




तेरे दिल की तू जाने (AMAR BHARAT)

 तेरे दिल की तू जाने 


तेरे दिल की तू जाने -

मुझे क्या पता?

पर, मेरे दिल की हर इक-

मंज़िल है तुझसे |


मिले तो मिले मुझको -

साथ तुम्हारा,

तेरे बिन जाये-

सांस मेरी मुझसे|


तेरी ही हंसी में-

सारा जहाँ है,

देखकर नैन तेरे-

सुकून मिलता यहाँ है,

है तू जहाँ -

स्वर्ग मेरा वहां है|


रूठती है तू-

क्यों न बोलती है मुझसे?

कुछ तो सुना-

मेरी क्या खता है?

तेरे दिल की तू जाने-

मुझे क्या पता है?


 अम्बरीष चन्द्र  'भारत'




पास तू आए- (AMAR BHARAT)

 

पास तू आए

पास तू आए-

जाने न दू मैं,

शाम-ओ-सुबह तुझको-

देखा करूँ मैं,

नजरों को अपनी -

यही काम दूँ मैं,

दिल को अपने-

आराम दूँ मैं|


करके बहाना -

तुझे रोक लूँ मैं,

जाने लगे जो-

संग चलूँ मैं,

बैठ कहीं तू-

कुछ बाते करूँ मैं,

हंसी तेरी देखूं-

और ज़िंदा रहूं मैं|


चेहरे पर तेरे-

गम को आने न दूँ मैं,

पास तू आये -

और जाने न दूँ मैं|


            अम्बरीष चन्द्र  'भारत'



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