तेरा रूठना
तेरा रूठना कि-
लगे सारा जहाँ-
हाथों से फिसला जा रह है|
तेरा बात न करना-
की लगे मेरा दम,
निकला जा रहा है|
तू है तो बनेंगे-
कई महल लेकिन,
इक तेरे न होने से-
मेरे दिल का घर,
उजड़ा जा रहा है |
हवा चले-
आंधियां आये ,
तूफ़ान कोशिश करे पूरी,
पर अटल हूँ मैं,
सिर्फ इक साथ हो तेरा,
तेरे दूर जाने से लेकिन-
मेरी सांसों से-
मेरा जीवन बिखरा जा रहा है |
तेरा रूठना की-
लगे सारा जहाँ,
हाथों से फिसला जा रहा है |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'