Monday, August 8, 2022

कहो तो जीना छोड़ दूँ...(AMAR BHARAT)

 


 कहो तो जीना छोड़ दूँ?


गुस्सा हो मुझसे?
तो कहो जीना छोड़ दूँ?
तुम्हारी हंसी का अमृत पीता था-
कहो तो वो भी पीना छोड़ दूँ?

मेरे दर्द पर आवाज़ तुम्हारी-
मरहम सी है,
इस मरहम को बना कर धागा -
अपने ज़ख्मो को सीता था,
न हो तुम्हे पसंद तो-
ज़ख्मों को सीना छोड़ दूँ ?

अगर मानती हो अपना-
चाहती हो ज़रा सा भी,
तो अपना बना लो-
 किसी तरह,
सिर्फ ख्वाब तुम्हारे ही देखता हूँ-
 हर हाल में तुमको ही चाहता हूँ,
तुम्हे अपनाने की ख्वाहिश करता हूँ-
न चाहत रही हो-
मुझे अपना बनाने की,
तो कहो-
 ख्वाब देखना छोड़ दूँ?

न बना सको अपना तो -
जीना छोड़ दूँ?


:अम्बरीष चन्द्र  'भारत'


इक तुम्हें देखकर ही.. (AMAR BHARAT)

  

इक तुम्हें देखकर ही



इक तुम्हें देखकर ही-
सुकून आता है,
उसपर तू इतना-
भाव खाता है,

कमजोरी है तुझे देखना-
वार्ना ये दिल,
कहाँ किसी पर आता है?
वो तो दीवाने हो गए हम-
देख-देख कर तुझे,
नहीं तो दिल अपना,
इक शहज़ादा है-
आज़ाद सा पंछी,
उड़ने वाला,
ख्यालो की दुनिया में रहने वाला,
इक मस्त-मगन
भ्रमर सा जो-
फूलों सी दिल न लगता है,
पर हाल ही हैं कुछ और अभी-
अब तुझे देख मुस्कुराता  है|

हर शाम-सुबह देखे तुझको-
यही गीत गुनगुनाता है,
इक तुझे देखकर-
दिल को मेरे,
सुकून अजब सा आता है,
तू जानती है सब हाल मेरा-
इसलिए भाव तू खाता है|

                        :अम्बरीष चन्द्र  "भारत"



गुलाम... (AMAR BHARAT)

 

 गुलाम

तेरी नज़रों का मैं-
गुलाम हो जाऊँ,
तुझे देखते ही-
सजदे में तेरे, 
मेरा सिर झुके,
तू बने रब मेरा -
मैं तेरा सलाम हो जाऊँ ,
तेरी नजरों का मैं 
गुलाम हो जाऊँ |

एक ख्वाहिश है मेरी -
ये अंतिम साँस तक ,
तेरी एक नज़र मुझपर पड़े-
तू मुस्कुरा के यूँ देखे,
की मेरी सांसो को -
ज़िंदगी भर का आराम हो जाये,
ये धड़कन चले तो सिर्फ-
तेरी चाहत के लिए ,
जो न हो चाहत कभी -
तुझे देखने की ,
उस पल के आने से पहले -
मेरी धड़कन,मेरी सांसो का -
विराम हो जाये |

तेरी मोहब्बत का मैं -
अफसाना सरे - आम गाउँ,
है ये ....
उसका दीवाना ,
हाँ -हाँ उसका दीवाना -

सब लोग कहें ,
इस कदर तेरी चाहत में -
बदनाम  हो जाऊँ ,

तेरी नज़रों का मैं -
गुलाम हो जाऊँ |
 
                                                         -:अम्बरीष चन्द्र भारत 


यूँ तो किसी के जाने से ... (AMAR BHARAT)

 

 यूँ तो किसी के जाने से


यूँ तो किसी के जाने से -

ज़िंदगी किसी की रूकती नहीं,

सिर्फ तुमने इतना कहा-

साँसे मेरी थमने लगी | 

बिन तेरे जो सांस चलती-

वो सांस बोझल लगने लगी |


महसूस ये मैंने किया-

तुझ बिन ये दिल कैसे जिया?

ये सोचकर साँसे बढ़ने लगी-

नश-नश मेरी जमने लगी|


शरीर का तुम हाल छोड़ो-

रूह भी कंपने लगी,

तुझसे जुदा होने की सुन-

मेरी ज़िंदगी ड़रने लगी |


नैनों में दो आंसू बहे-

मेरे दिल की जो व्यथा कहे,

तुझबिन जिए तो क्या जिए?

मेरा रोम-रोम मुझसे कहे |


लागी लगन तेरे प्रेम की,

जन्मों की है ये बुझती नहीं,

क्यों कहा तुमने शब्द निष्ठुर -

किसी के जाने से -

ज़िंदगी रूकती नहीं?


तू न जाने हाल उनका -

जिनका अपना  कोई बिछड़े,

ज़िंदा रहते वो मगर-

दुनिया सारी उनकी उजड़े |

तू न जाने हाल उनका -

जिनका कोई अपना नहीं,

जी रहे बेबस वो ऐसे,

जैसे की कोई सपना नहीं |


यूँ तो जाने से किसी के -

ज़िंदगी रूकती नहीं,

साँसों की लेकिन पीड़ा भी,

चुभती है हरपल -

छुपती नहीं |



                                                :अम्बरीष चन्द्र  "भारत"


love all, hate none.






इक अहसास... (AMAR BHARAT)

  

 इक अहसास..


तुम मुझसे दूर हो-

लेकिन अहसास हो तुम,

तुम मेरे पास न होकर भी-

मेरे पास हो तुम |


तुम सा मिलना सारे जहाँ में-

मुश्किल नहीं, नामुमकिन भी है,

तुम जो  मुझसे दूर जाओ-

सांस रुकना मुमकिन तो है |


तुम जो मेरे पास हो तो-

चाहत भी न है 

अब किसी की ,

मेरी हर धड़कन भी अब-

धड़कती है आपके नाम ही की,


बिन तेरे मेरी ये ज़िंदगी-

है किस काम की,

रूह बिन शरीर जैसे-

मिटटी ही है बस नाम की |


प्रेम तो एक डोर है-

मुश्किल में भी विश्वाश की,

आँखों में सजती अपनी दुनिया-

दीपक जलाकर आश की |


रब से मांगू तुमको सदा-

मेरे दिल की वो अरदास हो तुम,

जीवन का मेरे इक हसीं-

अहसास हो तूम |


दूर होकर भी मेरे पास हो तुम-

मेरे प्यार का अहसास हो तुम,

तुम पास न होकर भी-

मेरे पास हो तुम |


अम्बरीष चन्द्र  'भारत'





 

 


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