Thursday, August 11, 2022

आ गई हो तुम.. (AMAR BHARAT)

 आ गई हो तुम..


आ गई हो तुम ,

तो मेरी जान आ गयी है,

जा रही थी आश मेरी,

अब आश आ गयी है|


मेरे जीने का अब इक-

सहारा हो तुम,

देखकर तुमको -

मेरी सांस आगई है,

आ गयी हो तूम -

तो मेरी जान आ गयी है|


तेरे इंतज़ार में मैं कबसे बैठा यहाँ -

न आई तुम पहले -

थी इतनी देर से बोलो कहाँ?

कैसे तुझ बिन तड़प रहा था यहाँ-

फूलों से कर रहा हूँ बातें,

हर कोई मुझे पागल समझे यहाँ|


अकेला होकर भी-

तेरे साथ मानो चल रहा यहाँ,

आने से तेरे देखो बदल गया मेरा जहाँ|


बन गई है फूल कलियाँ -

भौरें गीत गए रहे यहाँ,

खुशबू बिखर रही,

तुम जाती हो जहाँ-जहाँ|


तेरे आने से ही-

ये बहार आ गई है,

आ गए हो तुम-

तो मेरी जान आगई है,

जा रही थी आश मेरी-

वो आश आ गयी है|


            अम्बरीष चन्द्र  'भारत'



दिल पर पैग़ाम ..(AMAR BHARAT)

 


दिल पर पैग़ाम

क्यों पुकारा हमें -

इतनी मोहब्बत से तुमने?

हुए बेसहारा -

जादू किया ऐसा-

शब्दों से तुमने|


तेरी फूल सी खुशबु-

महसूस कर लगे हम सोने,

मालूम था शहर का जर्रा-जर्रा,

पर देख कर तुझे -

लगे हम ख्वाब में खोने|


की तुझे ढूंढते हुए-

गलियों में लगे हम खोने,

न मिली तू हमे-

तो लगे हम पागल होने|


हर पल तू मेरी आँखों में होती,

बन हवा तू मेरी सांसो में सोती,

नाम सुन लूँ तेरा किसी से-

एक हलचल सी होती,

दिल में ख़ुशी से,

चमक उठती मेरी आंखे ऐसे-

मिले राह अंधियारे में जैसे|


अब नहीं चाहत मुझे-

कुछ और पढ़ने की कभी,

दिल पर तेरा नाम लिखा है,

प्यार का पैग़ाम लिखा है-

और क्यों कुछ मैं पढूं,

रब का सच्चा नाम लिखा है|


दिल पर मेरे तेरा नाम लिखा है-

प्यार का पैग़ाम लिखा है|


                  अम्बरीष चन्द्र  "भारत"



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