Friday, September 2, 2022

आज बारिश कुछ यूँ हुई (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

आज बारिश कुछ यूँ हुई 


आज बारिश कुछ यूँ हुई -
की दिल को याद- 
तेरी आ ही गयी ,
काश के सिर्फ एक झलक-
 ही मिल जाये तेरी,
दिल में रब से -
फ़रियाद आ ही गयी |

मैं बैठा इक कप चाय लिए-
खोया था तेरे ख्यालों में,
इक भीगी हुयी बला आयी -
भीगे हुए बालों में,

इक नज़र पड़ी उसपर-
नज़रों ने उससे नज़र हटा ली,
मैं देखने लगा बारिश-
घनघोर गर्जन घटा ने ली|

मैं याद करने लगा वो पल-
जब साथ मेरे तुम कभी थी,
इक चाय का प्याला-
जूठा तुम्हारा,
मिठास की न कोई कमी थी |

छत पर जब हम साथ जाते-
बारिश के झीने झरने में नहाते,
भीगे हुए तेरे वो केशू -
उँगलियों से जिनको,
 हम थे सुलझाते |

गालों पर तेरे -
बारिश के मोती,
उँगलियों से थे हम उठाते-
लाल अधर पर -
ठहरे मोती, 
लबों से तेरे चूम जाते |
बारिश जवाँ -
और हुस्न तेरा,
कैसे सनम खुद को बचाते?

तेरी निगाहों का -
मुझपर जादू ,
बारिश का मौसम -
रहे कैसे काबू?
दिल की हालत-
क्या हम बताते?
मेरे कातिल -
हम मर ही जाते |

आज तन्हा बारिश में बैठे-
उन पलों में हम है जाते,
याद कर लेते है उनको-
सांसों को जो मेरी चलाते |

तेरी यादें लिए-
दूर बैठे बारिश से हम,
दिल नहीं कहता है मुझसे-
चल कि तन्हा हम नहाते |
तेरी नज़रे पड़े तो -
बिन बारिश के भी,
हम भीग जाते |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'




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