Tuesday, August 15, 2023

स्वतंत्रता और गुलामी (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

                                                            

स्वतंत्रता और गुलामी


स्वतंत्रता की शुभकामना-

देते सभी एक दूसरे को,

मैं भी कहता शुभ मंगल हो,

आज़ादी की वेला ये |


आज स्वतंत्रता की भावना में-

बहते सभी नागरिक है,

कल से क्या होगा फिर से-

वही गुलामी तन मन की?


देश आज़ाद हुआ लेकिन-

सोच वही गुलामों की,

कोई रोटी दे युहीं-

न काम की कोई बात करे,

सोच रहे राजा बन जाये-

और घर बैठे आराम करे |


हो सकता हो बंद हो मदिरा -

पर नेताओं की हर रात सजे-

आज़ाद देश तो कहते है,

पर गुलाम नशे से करते हैं|

हर कदम पर खुले मदिरालय हैं-

पर जल सेवा का नाम नहीं |


आज़ादी तो तब मानूं-

जब जनता स्वतः काम करे,

देश की सेवा भाव लिए-

विश्व में देश का नाम करे |


आलस्य, अकर्मण्य, द्वेष न हो-

न किसी पर अत्याचार रहे,

हृदय में देश की सांसे हों -

तन देश की खातिर तैयार रहे |

हृदय से शुभ मंगल है,

जन-जन ऐसे ही आज़ाद रहे|


स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना 

अम्बरीष चन्द्र 'भारत'



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