Wednesday, August 17, 2022

फिक्र नहीं तुझको कोई (AMAR BHARAT)

 फिक्र नहीं तुझको कोई-


 फिक्र नहीं तुझको कोई-

आंसू तेरे लिए कोई बहाता है,

इक खुश है दुनिया में अपनी-

एक आँखों को अपनी जगाता है |


प्यार में ऐसा क्यों होता -

इक रोता देखने की खातिर,

इक बार भी सामने न आकर-

दूजा क्यों रुलाता है ?


खुश है मुझ बिन ये जानता हूँ-

फिर क्यों प्यार जताता है ?

फुर्सत मिले जो दुनिया से,

तब प्यार ज़रा सा दिखाता है |


वादा करके देर से आये-

फिर मुझपर ही चिल्लाता है,

अजब प्यार की गाथा है वो-

प्यार में बना विधाता है |


वो रूठे तो सौ जतन करूँ-

हर तरह से उसको मनाता हूँ,

मैं रूठूँ तो कहे मुझे,

जब ख़त्म हो गुस्सा तब कहना-

थोड़ा जरुरी बात सुनाता हूँ |


कभी-कभी लगता दिल को-

प्यार नहीं व्यापार है ये,

कोई फर्क नहीं पड़ता उसको-

रूठूँ या मानूं मैं उससे,

लाचार दिल क्या करे कहो-

व्यथा कहे अब किससे,

बस प्यार दिए जाऊं उसको-

कोई उम्मीद न रखूं मैं उससे |


अम्बरीष चन्द्र  'भारत'





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