Sunday, September 4, 2022

खुद को आंसुओं से भिगो लूँ (AMAR BHARAT)

खुद को आंसुओं से भिगो लूँ 

लग कर गले मैं तेरे-
खुद को आंसुओं से भिगो लूँ ,
बहुत भारी सा हो गया है-
मन मेरा,
पास बैठकर मैं तेरे-
थोड़ा रो लूँ,
थक चूका हूँ -
दुनिया से, हतास हूँ,
तेरी ज़ुल्फ़ों की छाँव में सो लूँ,
डर लगता है-
ज़िंदगी की हकीकत से,
तेरे चाँद से चेहरे को देखकर-
नैनों की गहराई में खो लूँ ,
लगकर गले तेरे-
जी भर के रो लूँ |

गर न साथ दे-
यार तू,
तो रब की पनाह में हो लूँ,
मिलना है उसी से आखिर में,
तो क्यों न अभी ही -
रुखसत ज़िंदगी से हो लूँ,
लग कर गले मैं तेरे-
खुद को आंसुओं से भिगो लूँ |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'

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