Wednesday, December 28, 2022

रब तुमको हँसाये (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

ब तुमको हँसाये


ये रूप जो दिल में उतर जाए-
तुझे देखने के बाद, 
न और कहीं नज़र जाए |
ये सादगी , ये मासूमियत, 
देखकर जीवन में खुशियों की
बहार आए-
तुझे देखूँ और क्या- क्या लिखूँ, 
दिल में हज़ारों विचार आए |
 ये लहर ज़ुल्फ़ों की-
मन में हलचल लाए, 
मैं खो जाऊँ तुझे देखकर-
मुझे अब न कोई जगाये |

ये मुस्कुराहट-
 जो सुकूँ दिल को देती है, 
रब कभी तुमसे ना चुरा पाए-
रहो जहाँ तुम, 
रब तुमको हँसाये|

अम्बरीष चन्द्र'भारत'


Saturday, December 24, 2022

मैं अकेला हूँ फिर भी (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

मैं अकेला हूँ फिर भी



मैं अकेला हूँ फिर भी-
तुम्हे महसूस साथ करता हूँ |

रात की बेबस तन्हाई में-
जब याद तुम्हारी आती है,
बस इक बार लग जाऊँ गले-
ख्वाहिश तन-मन में जग जाती है,
कदम सीढ़ियों से होकर-
वीरान छत पर ले चलते है,
जहाँ काली रात अब भी-
तन्हा हवा को छेड़ती हैं,
मुझे देखते ही वो हवा -
दौड़ आती हैं पास मेरे,
मैं भी बेक़रार -
बस बाहें फैला के उसे-
अपने ह्रदय से लगा लेता हूँ,
तुम्हें महसूस करता हूँ,
उस पल को कुछ देर ही सही-
थोड़ा जी लेता हूँ |

दो आंसू झलक आते हैं-
मगर हवा उन्हें चूम लेती है ,
मेरी तन्हाई की दास्ताँ-
वो भी समझती हैं,
लाती  है दूर से वो तेरी खुशबू,
और मुझपर छिड़कती है,
ख़ुशी चेहरे पर आती है मेरे-
और वो झूम उठती है |

अद्भुत मिलन ये देखकर-
रब बरसात करता है,
है दूर तू फिर भी,
हवा में साथ रखता हैं |

हर इश्क़ करने वाले का -
ईश्वर भी ख्याल रखता है,

फिर भी..
तुमसे मिलने की चाहत-
बार-बार करता हूँ,

मैं अकेला हूँ फिर भी-
तुम्हें महसूस साथ करता हूँ |




अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Monday, December 12, 2022

तेरी ये दूरी (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तेरी ये दूरी


तेरी ये दूरी-
मुझसे सही न जाये,
तुझे सामने मैं देखूं-
तू पास मेरे आये |

तू दूर इतनी है मुझसे कि-
पास मैं न आ पाऊँ,
तेरे गम में साथ रहकर-
ज़ुल्फ़ें सुलझा न पाऊँ,
रोना जो तू चाहे -
गले से तुझे लगाऊं,
 कि बैठकर तू मुझसे-
बातें करे कुछ प्यारी,
तुझे देखते हुए मैं-
कुछ ख्वाब नए सजाऊँ |

देखकर तेरी मुस्कराहट-
इक अजब ख़ुशी मिलती है,
तेरे चाँद से मुखड़े में-
रूह मेरी खिलती है |

तेरे पास आने को-
तुझे गले से लगाने को,
बेचैन मन कितना है-
ये व्यथा कही न जाये |

तेरी ये दूरी-
मुझसे सही न जाये |
तुझे सामने मैं देखूं-
तू पास मेरे आये |



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

मैं बेरोजगार नहीं हूं

बेरोजगार तो वो होता है जो दिन भर सोता है, कमाता भी नहीं, मैं बेरोजगार नहीं हूं, दिन भर योगी सरकार के लाखों रोजगार वाली खबर पढ़ता हूं। पिता ज...