रब तुमको हँसाये
ये रूप जो दिल में उतर जाए-
तुझे देखने के बाद,
न और कहीं नज़र जाए |
ये सादगी , ये मासूमियत,
देखकर जीवन में खुशियों की
बहार आए-
तुझे देखूँ और क्या- क्या लिखूँ,
दिल में हज़ारों विचार आए |
ये लहर ज़ुल्फ़ों की-
मन में हलचल लाए,
मैं खो जाऊँ तुझे देखकर-
मुझे अब न कोई जगाये |
ये मुस्कुराहट-
जो सुकूँ दिल को देती है,
रब कभी तुमसे ना चुरा पाए-
रहो जहाँ तुम,
रब तुमको हँसाये|
अम्बरीष चन्द्र'भारत'