Monday, September 12, 2022

कभी- कभी (AMAR BHARAT)

कभी- कभी 

कभी- कभी तुम्हें-
आसमां में देख लेता हूँ,
इंद्रधनुष के रंग की-
साड़ी में |

लाल गोल सूरज की-
बिंदी लगाए,
हाथों में -
चाँद की कलाओं का कंगन,
उँगलियों में स्वर्णिम -
बादल की मुंदरी,
गले में चमकते-
सितारों का हार,
कहीं कुछ -
श्याम रंग के बादल,
आँखों में काजल की तरह शोभित,
और क्या कहूं कि-
ये मस्त हवा का झोंका,
जैसे वो तेरी -
खिलखिलाती हंसी,
कभी-कभी वो कड़क-
और चमक बिजली की,
जैसे तेरा क्षण भर का गुस्सा,
और कुछ ही देर में-
मध्यम सी ,
प्यार की बारिश बनकर-
मुझपर गिर जाना,
कभी-कभी |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'





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