Friday, October 7, 2022

बिन यारों के ज़िंदगी (AMBRISH CHANDRA BHARAT)


बिन यारों के ज़िंदगी 

ज़िंदगी यारों के बिन बेकार है-
न हों यार-चार ज़िंदगी में,
तो जीना दुश्वार है |

कोई दर्द हो,
ग़म हो कोई-
बाँट लेते है सब,
ऐसे मेरे यार है |

हो कोई ख़ुशी या-
जन्म दिन  का जश्न,
कूटते बेशुमार है |

हारो जो कभी ज़िंदगी में-
जोश भरते है नया,
शान से ज़िंदगी जीने की -
दिखाते राह है |

मेरे यार रहे साथ सदा-
दिल की मेरी ये चाह है,
यूँ तो हँसते-हंसाते रहते हैं-
वक्त आने पर साथ रहते,
बनते दहकते अंगार है |

ज़िंदगी क्या है ये ज़िंदगी-
बिन यारों के ज़िंदगी बेकार है |







अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

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