इक तुम्हें देखकर ही
इक तुम्हें देखकर ही-
सुकून आता है,
उसपर तू इतना-
भाव खाता है,
कमजोरी है तुझे देखना-
वार्ना ये दिल,
कहाँ किसी पर आता है?
वो तो दीवाने हो गए हम-
देख-देख कर तुझे,
नहीं तो दिल अपना,
इक शहज़ादा है-
आज़ाद सा पंछी,
उड़ने वाला,
ख्यालो की दुनिया में रहने वाला,
इक मस्त-मगन
भ्रमर सा जो-
फूलों सी दिल न लगता है,
पर हाल ही हैं कुछ और अभी-
अब तुझे देख मुस्कुराता है|
हर शाम-सुबह देखे तुझको-
यही गीत गुनगुनाता है,
इक तुझे देखकर-
दिल को मेरे,
सुकून अजब सा आता है,
तू जानती है सब हाल मेरा-
इसलिए भाव तू खाता है|
:अम्बरीष चन्द्र "भारत"
👌👌👌❤️❤️
ReplyDeleteTHANK YOU SO MUCH
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