यूँ तो किसी के जाने से
यूँ तो किसी के जाने से -
ज़िंदगी किसी की रूकती नहीं,
सिर्फ तुमने इतना कहा-
साँसे मेरी थमने लगी |
बिन तेरे जो सांस चलती-
वो सांस बोझल लगने लगी |
महसूस ये मैंने किया-
तुझ बिन ये दिल कैसे जिया?
ये सोचकर साँसे बढ़ने लगी-
नश-नश मेरी जमने लगी|
शरीर का तुम हाल छोड़ो-
रूह भी कंपने लगी,
तुझसे जुदा होने की सुन-
मेरी ज़िंदगी ड़रने लगी |
नैनों में दो आंसू बहे-
मेरे दिल की जो व्यथा कहे,
तुझबिन जिए तो क्या जिए?
मेरा रोम-रोम मुझसे कहे |
लागी लगन तेरे प्रेम की,
जन्मों की है ये बुझती नहीं,
क्यों कहा तुमने शब्द निष्ठुर -
किसी के जाने से -
ज़िंदगी रूकती नहीं?
तू न जाने हाल उनका -
जिनका अपना कोई बिछड़े,
ज़िंदा रहते वो मगर-
दुनिया सारी उनकी उजड़े |
तू न जाने हाल उनका -
जिनका कोई अपना नहीं,
जी रहे बेबस वो ऐसे,
जैसे की कोई सपना नहीं |
यूँ तो जाने से किसी के -
ज़िंदगी रूकती नहीं,
साँसों की लेकिन पीड़ा भी,
चुभती है हरपल -
छुपती नहीं |
:अम्बरीष चन्द्र "भारत"
love all, hate none. |
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