Monday, August 8, 2022

यूँ तो किसी के जाने से ... (AMAR BHARAT)

 

 यूँ तो किसी के जाने से


यूँ तो किसी के जाने से -

ज़िंदगी किसी की रूकती नहीं,

सिर्फ तुमने इतना कहा-

साँसे मेरी थमने लगी | 

बिन तेरे जो सांस चलती-

वो सांस बोझल लगने लगी |


महसूस ये मैंने किया-

तुझ बिन ये दिल कैसे जिया?

ये सोचकर साँसे बढ़ने लगी-

नश-नश मेरी जमने लगी|


शरीर का तुम हाल छोड़ो-

रूह भी कंपने लगी,

तुझसे जुदा होने की सुन-

मेरी ज़िंदगी ड़रने लगी |


नैनों में दो आंसू बहे-

मेरे दिल की जो व्यथा कहे,

तुझबिन जिए तो क्या जिए?

मेरा रोम-रोम मुझसे कहे |


लागी लगन तेरे प्रेम की,

जन्मों की है ये बुझती नहीं,

क्यों कहा तुमने शब्द निष्ठुर -

किसी के जाने से -

ज़िंदगी रूकती नहीं?


तू न जाने हाल उनका -

जिनका अपना  कोई बिछड़े,

ज़िंदा रहते वो मगर-

दुनिया सारी उनकी उजड़े |

तू न जाने हाल उनका -

जिनका कोई अपना नहीं,

जी रहे बेबस वो ऐसे,

जैसे की कोई सपना नहीं |


यूँ तो जाने से किसी के -

ज़िंदगी रूकती नहीं,

साँसों की लेकिन पीड़ा भी,

चुभती है हरपल -

छुपती नहीं |



                                                :अम्बरीष चन्द्र  "भारत"


love all, hate none.






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