Sunday, October 23, 2022

आवारा हो जायेगा (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

आवारा हो जायेगा


हसीं ज़ुल्फ़ों का तेरी
ये दिल -
दीवाना हो जायेगा,
नज़रों को तेरी लत लगेगी-
इंसान अच्छा ये
आवारा हो जायेगा |

एक शान है 
अभी ज़माने में-
तेरी अदाओं का गुलाम,
अब तो दिल बेचारा हो जायेगा |

बड़े काम किये है -
इस इंसान ने ज़माने में,
मैं खाकर कसम कहता हूँ-
तेरी ज़ुल्फ़ों के जादू से ,
ये इंसा नाकारा हो जायेगा |

मुस्कुराकर रहता था -
साथ हर किसी के,
मुस्कान तेरी देखकर-
आज बेसहारा हो जायेगा |

हसीं ज़ुल्फ़ों का तेरी
ये दिल -
दीवाना हो जायेगा,
नज़रों को तेरी लत लगेगी-
इंसान अच्छा ये
आवारा हो जायेगा |







अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Sunday, October 16, 2022

दिलकश धोखा (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

दिलकश धोखा


ये खूबसूरत ज़ुल्फ़ें-
ये हवा का झोंका,
ए दिल -
संभल के रहना ज़रा,
हुस्न लेकर आया है-
महफ़िल में दिलकश धोखा |

तू.. फिर किसी काबिल न रह पायेगा-
रोक ले कदम ए दिल,
अब भी वक़्त है-
जो गया उसकी गली,
तो बाद में पछतायेगा |






अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

तड़पता हूँ मैं (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)


तड़पता हूँ मैं -


तड़पता हूँ मैं -
लेकर याद तेरी,
सुनता नहीं क्यों खुदा-
एक भी फरियाद मेरी |

क्यों न तेरे दिल को -
तड़पा देता है?
मेरी आँखों का अश्क -
क्यों न दिल तेरा पिघला देता है?

प्यार हो या हो खुदा-
तड़प सीने की क्यों न,
दिखला देता है?

तू भी पत्थर बन रही-
जैसे की मैं था कभी,
प्यार के वादे वो-
भूली तुम सभी,
क्यों न तेरे नैन भरते
छल छलाते अश्क से-
जल रहा है दिल मेरा ये-
हाय ! तेरे रश्क से |





  अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Thursday, October 13, 2022

तुम ज़रा सा पास आना (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)


मैं आँखे बंद करलूँ ,
तुम ज़रा सा पास आना-
छूना ना सही, 
सांसों को मुझपर तुम लाहरना, 
नीरस हूँ मैं, 
मुझको ज़रा साँसों से महकाना
मैं आँखे बंद करलूँ 
तुम ज़रा सा पास आना |



Wednesday, October 12, 2022

स्वर्ग की कोई अप्सरा (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

स्वर्ग की कोई अप्सरा 


स्वर्ग की कोई अप्सरा-
ज़मीं पर उतर आई है|

खेलती, झूमती,
हवा को चूमती,
मुस्कुराकर फूलों में-
बेहद हसीं पुष्प बनकर घूमती |

खुली ज़ुल्फ़ों को लहराई-
बादल रह गए आसमाँ में ,
वो चाँद बनकर-
ज़मीं पर आई |

हर तरफ हरियाली है-
उसके होंठों पर लाली छाई है,
पैरों को झुलाती-
छेड़ती फूलों को,
आसमाँ में उड़ने की-
चाहत ले आई है |

उसके हंसने से-
और भी खिल उठे फूल सारे-
ज़मीं पर वो जैसे-
स्वर्ग लेकर आई है |

स्वर्ग की वो अप्सरा-
ज़मीं पर उतर आई है |


अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Friday, October 7, 2022

बिन यारों के ज़िंदगी (AMBRISH CHANDRA BHARAT)


बिन यारों के ज़िंदगी 

ज़िंदगी यारों के बिन बेकार है-
न हों यार-चार ज़िंदगी में,
तो जीना दुश्वार है |

कोई दर्द हो,
ग़म हो कोई-
बाँट लेते है सब,
ऐसे मेरे यार है |

हो कोई ख़ुशी या-
जन्म दिन  का जश्न,
कूटते बेशुमार है |

हारो जो कभी ज़िंदगी में-
जोश भरते है नया,
शान से ज़िंदगी जीने की -
दिखाते राह है |

मेरे यार रहे साथ सदा-
दिल की मेरी ये चाह है,
यूँ तो हँसते-हंसाते रहते हैं-
वक्त आने पर साथ रहते,
बनते दहकते अंगार है |

ज़िंदगी क्या है ये ज़िंदगी-
बिन यारों के ज़िंदगी बेकार है |







अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Tuesday, October 4, 2022

दिल-ए-हाल (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

दिल-ए-हाल सबका


मैं नज़र भरकर -
देखता हूँ तुम्हें,
नज़रों से अपनी-
तुझे कोई ऐतराज़ है क्या?

तू नज़रों में मेरी देखकर-
नज़र हटा लेती है,
सीने में कोई राज़ है क्या?

अच्छा है मत देख-
मेरी निगाहों के साग़र में,
है मुझे यकीन-
तू मेरी नज़रों को देखकर,
बहकता तो होगा |

जो न देखूँ तुझे-
तो बेचैनी बढ़ती है मेरी,
यही हाल यहाँ
हर किसी का,
किसी की खातिर-
होता तो होगा |




अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Saturday, October 1, 2022

चंद ख्वाहिश (AMAR BHARAT)

चंद ख्वाहिश


मेरे सीने में है जो दिल-
उसे कई ज़ख्म दिए 
'दुनियावालों ने'
तुम अपनी मासूम नज़रों से-
दिल को मेरे दवा तो दो |

लग रहा है कि-
चंद घड़ियों का हूँ-
मेहमां अब,
बैठो मेरे सामने,
आये सुकून से मौत मुझे-
ये दुआ तो दो |

ता उम्र खेला-
जिन्होंने मेरे दिल से,
इसको खिलौना समझकर-
न मिले इनको-
कोई टूटकर मोहब्बत करने वाला,
ये बद्दुआ तो दो |

वो जल रहा है चिराग-
जो हमें दूर कर रहा है,
लगा लो गले मुझे-
मेरे मरने से पहले,
मगर वो चिराग बुझा तो दो |



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

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