Wednesday, December 28, 2022

रब तुमको हँसाये (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

ब तुमको हँसाये


ये रूप जो दिल में उतर जाए-
तुझे देखने के बाद, 
न और कहीं नज़र जाए |
ये सादगी , ये मासूमियत, 
देखकर जीवन में खुशियों की
बहार आए-
तुझे देखूँ और क्या- क्या लिखूँ, 
दिल में हज़ारों विचार आए |
 ये लहर ज़ुल्फ़ों की-
मन में हलचल लाए, 
मैं खो जाऊँ तुझे देखकर-
मुझे अब न कोई जगाये |

ये मुस्कुराहट-
 जो सुकूँ दिल को देती है, 
रब कभी तुमसे ना चुरा पाए-
रहो जहाँ तुम, 
रब तुमको हँसाये|

अम्बरीष चन्द्र'भारत'


Saturday, December 24, 2022

मैं अकेला हूँ फिर भी (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

मैं अकेला हूँ फिर भी



मैं अकेला हूँ फिर भी-
तुम्हे महसूस साथ करता हूँ |

रात की बेबस तन्हाई में-
जब याद तुम्हारी आती है,
बस इक बार लग जाऊँ गले-
ख्वाहिश तन-मन में जग जाती है,
कदम सीढ़ियों से होकर-
वीरान छत पर ले चलते है,
जहाँ काली रात अब भी-
तन्हा हवा को छेड़ती हैं,
मुझे देखते ही वो हवा -
दौड़ आती हैं पास मेरे,
मैं भी बेक़रार -
बस बाहें फैला के उसे-
अपने ह्रदय से लगा लेता हूँ,
तुम्हें महसूस करता हूँ,
उस पल को कुछ देर ही सही-
थोड़ा जी लेता हूँ |

दो आंसू झलक आते हैं-
मगर हवा उन्हें चूम लेती है ,
मेरी तन्हाई की दास्ताँ-
वो भी समझती हैं,
लाती  है दूर से वो तेरी खुशबू,
और मुझपर छिड़कती है,
ख़ुशी चेहरे पर आती है मेरे-
और वो झूम उठती है |

अद्भुत मिलन ये देखकर-
रब बरसात करता है,
है दूर तू फिर भी,
हवा में साथ रखता हैं |

हर इश्क़ करने वाले का -
ईश्वर भी ख्याल रखता है,

फिर भी..
तुमसे मिलने की चाहत-
बार-बार करता हूँ,

मैं अकेला हूँ फिर भी-
तुम्हें महसूस साथ करता हूँ |




अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Monday, December 12, 2022

तेरी ये दूरी (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तेरी ये दूरी


तेरी ये दूरी-
मुझसे सही न जाये,
तुझे सामने मैं देखूं-
तू पास मेरे आये |

तू दूर इतनी है मुझसे कि-
पास मैं न आ पाऊँ,
तेरे गम में साथ रहकर-
ज़ुल्फ़ें सुलझा न पाऊँ,
रोना जो तू चाहे -
गले से तुझे लगाऊं,
 कि बैठकर तू मुझसे-
बातें करे कुछ प्यारी,
तुझे देखते हुए मैं-
कुछ ख्वाब नए सजाऊँ |

देखकर तेरी मुस्कराहट-
इक अजब ख़ुशी मिलती है,
तेरे चाँद से मुखड़े में-
रूह मेरी खिलती है |

तेरे पास आने को-
तुझे गले से लगाने को,
बेचैन मन कितना है-
ये व्यथा कही न जाये |

तेरी ये दूरी-
मुझसे सही न जाये |
तुझे सामने मैं देखूं-
तू पास मेरे आये |



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Sunday, November 27, 2022

जबतक है वफ़ा- दिल में मेरे (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)


जबतक है वफ़ा


जबतक है वफ़ा-
दिल में मेरे,
तबतक मेरी ये-
सांस चले |

वफ़ा जो तोडूँ-
तुझसे मैं सनम,
सांस की शाम-
मेरी ये ढले |

और जबतक है तू-
मेरी तबतक,
जीने की मेरी -
आश चले |

दूर रहना नहीं-
मुझको तुझसे,
पास रहे तू-
मेरे साथ चले |

जबतक है वफ़ा-
दिल में मेरे,
तबतक मेरी ये-
सांस चले ||


अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Saturday, November 19, 2022

तेरे पास जब भी बैठूँ (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तेरे पास जब भी बैठूँ

तेरे पास जब भी बैठूँ-
साँसे ये बढ़ जाती है,
तेरी ज़ुल्फ़ों की खुशबू वो प्यारी,
 नैनों का नशा नशीला सा,
नश-नश में मेरे-
चढ़ जाती है |

न मुझको कोई होश हो-
देखकर तुझको मदहोश हों,
दिल को न हो-
दिल की खबर,
दुनिया से हो-
दिल बेखबर,
नज़रें निहारें तेरे नैना,
ज़िद पर यूँ अड़ जाती है,
ये साँस मेरी-
हर साँस में फिर,
तेरे इश्क में पड़ जाती है |

पास तेरे जब भी बैठूं-
मेरी साँसे क्यूँ बढ़ जाती है |


अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Sunday, November 13, 2022

तभी तो जीता हूँ (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तभी तो जीता हूँ 


वो तेरी नटखट नादानियाँ-
वो तेरी शरारत की कहानियाँ,
याद करता हूँ-
तभी तो जीता हूँ |

दूर हूँ तुझसे -
फिर भी,
तेरी तस्वीर लिए-
दिल में,
तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों की याद-
तेरे लाल होठों की मिठास ,
वो तेरा परेशां करना मुझको-
वो सब कुछ -
बनकर मेरी सांस ,
मेरी धड़कन चलाती है |

तेरे रूप के सागर में-
मैं खोया रहता हूँ,
अकेला रहकर भी-
तेरी याद मुझे ,
खुशहाल बनती है |

कभी तो आकर मिल-
कि तेरी याद मुझे -
बेहद सताती है |

वो तेरी नटखट नादानियाँ-
वो तेरी शरारत की कहानियाँ,
याद करता हूँ-
तभी तो जीता हूँ |



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Saturday, November 5, 2022

तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ, (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ,



तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ,
तेरे ख्वाबों में जीता -
बेहतरीन अफसाना हूँ |

तेरी अदाओं के तीर -
जो चले मुझपर,
दुनिया से मैं-
बेखबर, बेगाना हूँ |

जानता था पहले मैं,
शहर भर को-
अबतो खुद से ही,
अंजाना हूँ |

तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ |

हाय ! की जबसे देखी है-
तेरी नज़र,
ये दिल को करे बेचैन-
मुझपर ढाये कहर |

अदाएं हैं तेरी-
कि जीने न दे,
लगा मुझको सीने से -
या लगूँ मौत के गले मैं-
खाकर ज़हर |

तेरी खातिर बन गया आवारा हूँ,
तेरी हसीं ज़ुल्फ़ों का मैं दीवाना हूँ |




अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Tuesday, November 1, 2022

रूठकर मुझसे (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

रूठकर मुझसे

रूठकर मुझसे-
न यूँ  मुझको; 
परेशां किया करो,
मेरी रूह-
मेरी सॉंस-
धड़कन मेरी-
सब है तेरा,
थोड़ा सा तो मुझपर-
यकीन किया करो|

काली घटा भी मुझको-
इतना न भाए,
जितनी की तेरी -
ज़ुल्फ़ की घटायें |

मैं तो दीवाना हूँ-
हरपल तेरा ,
तेरी अदाएं-
मुझपर जादू चलाएं |

अपनी ये दूरी-
मुझको रुलाये,
रब से मैं मांगू-
की तुझसे मिलाये |

की आँखे वो उसकी-
जिनमे हूँ मैं,
रब मेरे हिस्से की खुशियाँ-
उनको दिया करो,
रूठकर मुझसे-
न यूँ मुझको परेशां किया करो |





अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Sunday, October 23, 2022

आवारा हो जायेगा (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

आवारा हो जायेगा


हसीं ज़ुल्फ़ों का तेरी
ये दिल -
दीवाना हो जायेगा,
नज़रों को तेरी लत लगेगी-
इंसान अच्छा ये
आवारा हो जायेगा |

एक शान है 
अभी ज़माने में-
तेरी अदाओं का गुलाम,
अब तो दिल बेचारा हो जायेगा |

बड़े काम किये है -
इस इंसान ने ज़माने में,
मैं खाकर कसम कहता हूँ-
तेरी ज़ुल्फ़ों के जादू से ,
ये इंसा नाकारा हो जायेगा |

मुस्कुराकर रहता था -
साथ हर किसी के,
मुस्कान तेरी देखकर-
आज बेसहारा हो जायेगा |

हसीं ज़ुल्फ़ों का तेरी
ये दिल -
दीवाना हो जायेगा,
नज़रों को तेरी लत लगेगी-
इंसान अच्छा ये
आवारा हो जायेगा |







अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Sunday, October 16, 2022

दिलकश धोखा (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)

दिलकश धोखा


ये खूबसूरत ज़ुल्फ़ें-
ये हवा का झोंका,
ए दिल -
संभल के रहना ज़रा,
हुस्न लेकर आया है-
महफ़िल में दिलकश धोखा |

तू.. फिर किसी काबिल न रह पायेगा-
रोक ले कदम ए दिल,
अब भी वक़्त है-
जो गया उसकी गली,
तो बाद में पछतायेगा |






अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

तड़पता हूँ मैं (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)


तड़पता हूँ मैं -


तड़पता हूँ मैं -
लेकर याद तेरी,
सुनता नहीं क्यों खुदा-
एक भी फरियाद मेरी |

क्यों न तेरे दिल को -
तड़पा देता है?
मेरी आँखों का अश्क -
क्यों न दिल तेरा पिघला देता है?

प्यार हो या हो खुदा-
तड़प सीने की क्यों न,
दिखला देता है?

तू भी पत्थर बन रही-
जैसे की मैं था कभी,
प्यार के वादे वो-
भूली तुम सभी,
क्यों न तेरे नैन भरते
छल छलाते अश्क से-
जल रहा है दिल मेरा ये-
हाय ! तेरे रश्क से |





  अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Thursday, October 13, 2022

तुम ज़रा सा पास आना (AmBrIsH cHaNdRa BhArAt)


मैं आँखे बंद करलूँ ,
तुम ज़रा सा पास आना-
छूना ना सही, 
सांसों को मुझपर तुम लाहरना, 
नीरस हूँ मैं, 
मुझको ज़रा साँसों से महकाना
मैं आँखे बंद करलूँ 
तुम ज़रा सा पास आना |



Wednesday, October 12, 2022

स्वर्ग की कोई अप्सरा (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

स्वर्ग की कोई अप्सरा 


स्वर्ग की कोई अप्सरा-
ज़मीं पर उतर आई है|

खेलती, झूमती,
हवा को चूमती,
मुस्कुराकर फूलों में-
बेहद हसीं पुष्प बनकर घूमती |

खुली ज़ुल्फ़ों को लहराई-
बादल रह गए आसमाँ में ,
वो चाँद बनकर-
ज़मीं पर आई |

हर तरफ हरियाली है-
उसके होंठों पर लाली छाई है,
पैरों को झुलाती-
छेड़ती फूलों को,
आसमाँ में उड़ने की-
चाहत ले आई है |

उसके हंसने से-
और भी खिल उठे फूल सारे-
ज़मीं पर वो जैसे-
स्वर्ग लेकर आई है |

स्वर्ग की वो अप्सरा-
ज़मीं पर उतर आई है |


अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Friday, October 7, 2022

बिन यारों के ज़िंदगी (AMBRISH CHANDRA BHARAT)


बिन यारों के ज़िंदगी 

ज़िंदगी यारों के बिन बेकार है-
न हों यार-चार ज़िंदगी में,
तो जीना दुश्वार है |

कोई दर्द हो,
ग़म हो कोई-
बाँट लेते है सब,
ऐसे मेरे यार है |

हो कोई ख़ुशी या-
जन्म दिन  का जश्न,
कूटते बेशुमार है |

हारो जो कभी ज़िंदगी में-
जोश भरते है नया,
शान से ज़िंदगी जीने की -
दिखाते राह है |

मेरे यार रहे साथ सदा-
दिल की मेरी ये चाह है,
यूँ तो हँसते-हंसाते रहते हैं-
वक्त आने पर साथ रहते,
बनते दहकते अंगार है |

ज़िंदगी क्या है ये ज़िंदगी-
बिन यारों के ज़िंदगी बेकार है |







अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Tuesday, October 4, 2022

दिल-ए-हाल (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

दिल-ए-हाल सबका


मैं नज़र भरकर -
देखता हूँ तुम्हें,
नज़रों से अपनी-
तुझे कोई ऐतराज़ है क्या?

तू नज़रों में मेरी देखकर-
नज़र हटा लेती है,
सीने में कोई राज़ है क्या?

अच्छा है मत देख-
मेरी निगाहों के साग़र में,
है मुझे यकीन-
तू मेरी नज़रों को देखकर,
बहकता तो होगा |

जो न देखूँ तुझे-
तो बेचैनी बढ़ती है मेरी,
यही हाल यहाँ
हर किसी का,
किसी की खातिर-
होता तो होगा |




अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Saturday, October 1, 2022

चंद ख्वाहिश (AMAR BHARAT)

चंद ख्वाहिश


मेरे सीने में है जो दिल-
उसे कई ज़ख्म दिए 
'दुनियावालों ने'
तुम अपनी मासूम नज़रों से-
दिल को मेरे दवा तो दो |

लग रहा है कि-
चंद घड़ियों का हूँ-
मेहमां अब,
बैठो मेरे सामने,
आये सुकून से मौत मुझे-
ये दुआ तो दो |

ता उम्र खेला-
जिन्होंने मेरे दिल से,
इसको खिलौना समझकर-
न मिले इनको-
कोई टूटकर मोहब्बत करने वाला,
ये बद्दुआ तो दो |

वो जल रहा है चिराग-
जो हमें दूर कर रहा है,
लगा लो गले मुझे-
मेरे मरने से पहले,
मगर वो चिराग बुझा तो दो |



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Wednesday, September 28, 2022

तेरी आँखों की चमक (AMAR BHARAT)

तेरी आँखों की चमक


तेरी आँखों की चमक को-
अँधियारे की इक आस लिखूँ,
तू मुस्कुराए-
तेरी हसीं मुस्कराहट को,
मैं अपनी ज़िंदगी और साँस लिखूँ |

तुझे देखकर-
देखने की ख्वाहिश हो और,
तू रूप का सागर है-
मैं खुद को सहरा की प्यास लिखूँ |

तेरी हसीं भीगी ज़ुल्फ़ें-
हाथों में लाल मेहँदी का रंग,
मुस्कराहट दिल की धड़कन बनी-
तुझको मैं बेहद खास लिखूँ |

मिले सारा ज़हान-
जीतने की शक्ति,
मेरी आत्मा में है तू,
तुझे खुद का आत्मविश्वास लिखूँ |

तेरी आँखों की चमक को-
अँधियारे की इक आस लिखूँ ,
तेरी हसीं मुस्कराहट को,
मैं अपनी ज़िंदगी और साँस लिखूँ |



                                                                      अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Monday, September 26, 2022

बस एक नज़र का खेल है (AMAR BHARAT)

बस एक नज़र का खेल है


बस एक नज़र का खेल है-
तू मुस्कुराकर देखे तो आबाद,
तु नज़रे फेर  ले  तो-
दिल बेचारा फेल है |

मैं तो आवारा हूँ-
राहों का बंजारा हूँ,
भागता तेरे पीछे-
तेरे प्यार का मारा हूँ |

लड़खड़ाता थक गया हूँ-
डूबता दुनिया के सागर में,
ढूंढता एक किनारा हूँ |

कभी सर्द से ठिठुरा तो-
कभी सूरज से तपता हूँ,
छाले पावं के फूटे तो,
तेरा नाम जपता हूँ  |

कभी इक नज़र देखे-
तु समझे मैं बेचारा हूँ,
तेरी नायाब नज़रों का मिले-
मुझे भी एक नज़र तोहफा,
उस प्यार भरी नज़र की खातिर-
फिरता आवारा हूँ,

बहुत रोया हूँ मैं-
तन्हाई में-
लगाकर गले कह दे मुझे,
मैं तेरा सहारा हूँ |

दुनिया का क्या-
दुनिया लगे,
जैसे कि निर्मम जेल है,
बस इक नज़र का खेल है |

तु मुस्कुराकर देखे तो आबाद-
तु नज़रे फेर ले तो,
दिल बेचारा  फेल है |



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Thursday, September 22, 2022

WHY I AM NOT THAT PEN? (AMAR BHARAT)

WHY I AM NOT THAT PEN?


I FEEL JEALOUS WITH THAT PEN,
WHICH YOU TOUCH -
WITH YOUR BEAUTIFUL HAND.
WHY I AM NOT THAT PEN?



I FEEL JEALOUS WITH THAT PEN-
WHICH YOU PUT,
IN YOUR BEAUTIFUL HAIR,
WHY I AM NOT THAT PEN?



I FEEL JEALOUS WITH THAT PEN-
WHICH YOU TOUCH-
FROM YOUR BEAUTIFUL ROSY LIPS.
WHY I AM NOT THAT PEN?


I FEEL JEALOUS WITH THAT PEN-
WHEN YOU KISS THAT PEN,
WHY I AM NOT THAT LUCKY PEN?


I REALLY FEEL JEALOUS -
WHEN YOU PUT THAT PEN IN YOUR MOUTH.
WHY I AM NOT THAT PEN?





  अम्बरीष चन्द्र 'भारत'



Tuesday, September 20, 2022

अदाएं रखती हो-(AMAR BHARAT)

 अदाएं रखती हो


बातों में नशा रखती हो-
सुनकर बातें तेरी
दूर हो जाते है ग़म,
सुना है होठों पर तुम अपने-
हर ज़ख्म की दवा रखती हो |

सुकून मिले दिल को जिससे-
चेहरे पर मुस्कराहट की-
ऐसी चमक रखती हो,
दिल झूम उठे-
सुनकर आवाज़ तेरी,
सुना है बोली में अपनी-
सितार की झनक रखती हो |

जब भी मिलता हूँ-
नज़र तुमसे हटती नहीं,
जबकि मालूम है हमें -
नज़रों पर करदे जादू-टोना -
ऐसी नज़र रखती हो |

तेरी नज़रों में देखता हूँ-
की कुछ तो चाहत तुम भी रखती हो,
लड़खड़ाते हैं अल्फ़ाज़ तेरे-
मुझसे बातें करते हुए,
हो न हो दिल के किसी कोने में-
मेरी मोहब्बत तुम भी रखती हो |
                                                                 



अम्बरीष चन्द्र 'भारत'

Sunday, September 18, 2022

अधूरी चाहत (AMAR BHARAT)

अधूरी चाहत-


रात काली अमावस की थी-
और चेहरा तेरा चाँद सा,
इक लौ जलाई मैंने-
चमका तेरा चेहरा,
दिल में हुई हलचल-
वो सामने था ज़ुल्फ़ों का पहरा |

आंखे चमक रही थी-
जैसे कि सितारे हों ,
तुम मुस्कुराई तो दाँत दमके-
जैसे इक धागे में पिरोए-
श्वेत मोती सारे हों |

तेरे पास आ रहा थे मैं-
और तुम थोड़ा घबराई,
मेरे कदम वहीं रुक गए-
जो माथे पर तेरे -
पसीने कि बूँद आई,
तू घबरा गई-
ये सोचकर मैं रुक गया,
फिर तू ज़रा सम्भली,
मेरी तरफ कदम बढ़ाया,
कुछ हौंसला हुआ मुझमे-
और तेरी ओर मैं बढ़ आया |

बढे मेरे कदम जो तेरी ओर-
तुझे ख़ुशी तो हुई,
दिल ही दिल में खुश था मैं-
होठों पर मेरे हंसी तो थी,
आज तुम्हें छूकर मैं-
अहसास नया कुछ पाऊँगा,
ये सदियों की चाहत-
होगी पूरी,
अब पल न ये गवाऊंगा |

पर न जाने क्यों-
इस ख्याल के बाद,
कदम एक भी बढे नहीं-
जड़ सा मैं जमा रहा,
और काली किस्मत से काले बादल-
आसमा से हटे नहीं,
'कड़क उठी जो बिजली एक-
आँखे डर से खुली रही '

"आज फिर तुझको छू न पाया-
चाहत अधूरी बनी रही |"

                                                                अम्बरीष चन्द्र 'भारत'



Thursday, September 15, 2022

आसमां के सारे सितारे (AMAR BHARAT)

आसमां के सारे सितारे


आसमां के सारे सितारे-
चमक रहे वस्त्रों में तुम्हारे,
देखे हम ये चाँद-सितारे -
या तुम्हे देखकर होश संभाले?

आँखों में प्यार का सागर है-
अधरों में मय की  गागर है,
मय को पीकर सोचता हूँ-
करूँ खुद को मैं,
तेरे नैनों के हवाले,
फिर डूबा दे मुझको-
या पार लगा,
दिल और जां है सब-
क़दमों में तुम्हारे|
आसमां के लाखों तारे -
चमक रहे वस्त्रों में तुम्हारे |

मैं तुम्हें देखकर सांस भरूँ-
तन-मन में नया अहसास धरूँ,
तेरे मुखड़े की ख़ुशी-
है जान मेरी,
अब रब भी है-
मैं विश्वास करूँ|

तुम हसीं चाँद सी-
दूर भी हो,
नैन चकोर मेरे-
तुम्हे निहारे,
आसमां के लाखों तारे -
चमक रहे वस्त्रों में तुम्हारे |


अम्बरीष चन्द्र 'भारत' 



Monday, September 12, 2022

कभी- कभी (AMAR BHARAT)

कभी- कभी 

कभी- कभी तुम्हें-
आसमां में देख लेता हूँ,
इंद्रधनुष के रंग की-
साड़ी में |

लाल गोल सूरज की-
बिंदी लगाए,
हाथों में -
चाँद की कलाओं का कंगन,
उँगलियों में स्वर्णिम -
बादल की मुंदरी,
गले में चमकते-
सितारों का हार,
कहीं कुछ -
श्याम रंग के बादल,
आँखों में काजल की तरह शोभित,
और क्या कहूं कि-
ये मस्त हवा का झोंका,
जैसे वो तेरी -
खिलखिलाती हंसी,
कभी-कभी वो कड़क-
और चमक बिजली की,
जैसे तेरा क्षण भर का गुस्सा,
और कुछ ही देर में-
मध्यम सी ,
प्यार की बारिश बनकर-
मुझपर गिर जाना,
कभी-कभी |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'





Saturday, September 10, 2022

किसका है? (AMAR BHARAT)

किसका है?


मेरे सीने में-
धड़कता है एक दिल,
किसका है?

मेरी नज़रों में हैं-
इंतज़ार रात-दिन,
ये इंतज़ार किसका हैं?

दिल में बुन रहा हूँ-
एक सपनों का संसार,
वो संसार किसका हैं?

ठोकर लगती है-
ख्वाब को हकीतकत करने में-
फिर भी प्यार से चलता हूँ-
ये प्यार किसका हैं?

मैं सोता हूँ -
पहले से ज्यादा,
हसीं ख्वाब में,
ज़रा सोचो तो-
वो हसीं ख्वाब,
किसका है?

मैं मुस्कुरा देता हूँ-
रोते-रोते ,
वो चेहरा देखकर,
मेरे चेहरे की ख़ुशी है-
वो चेहरा,
सोचो वो हसीं चेहरा-
किसका है?

ख़ुशियाँ पूछ कर पता-
उसके पास जाती है,
ग़म गलती से भी-
उसे देखता नहीं,
सोचो ऐसा हसीं अंदाज़-
किसका है,

जो मेरे दिल पर-
करती है राज और ,
रहती है राज़ बनकर,
मेरे दिल में तो है-
पर ज़ुबां पर न आये,
सोचो ज़रा वो राज़ -
किसका है |

मैं चुप रहता हूँ-
चमक देखो मेरे चेहरे की,
सब पूछते है मुझसे-
ये प्यार किसका है?

मैं खामोश निगाहों से-
खुश हूँ-
तुझे महसूस कर,
मैं क्यों बताऊँ?

वो दिल-
वो इंतज़ार,
वो पलकों में प्यार,
वो हर पल का साथ,
वो मेरे सीने का राज़,
वो हसीं अंदाज़,
और खुशियों का संसार,
वो सब उसका है,
जो मेरी नज़रों में आकर-
दिल में समाकर,
प्यार मुझसे करता है,
वो हसीं है इस कदर -
की मेरा दिल उसपर मरता है|
मेरा रोम-रोम -
सिर्फ उसका है,
ये मत पूछो ,
की मेरा सब कुछ-
किसका है?

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'


Thursday, September 8, 2022

डेढ़ चाँद (AMAR BHARAT)


डेढ़ चाँद

कल रात डेढ़ चाँद मुझे-
छत पर नज़र आया था,
मैं देख रहा था-
आधे चाँद को छत पर ,
और पास मेरे-
पूरा चाँद आया था |
कल रात डेढ़ चाँद मुझे-
छत पर नज़र आया था |

आधे चाँद पर-
काले बादलों का साया था,
पूरे चाँद को-
काली ज़ुल्फ़ों ने सजाया था |

रहकर पास मेरे-
वो चाँद मुस्कुराया था,
बहुत देर तक हुई बातें उससे,
मेरे दिल को-
बेहद सुकून आया था |
कल रात डेढ़ चाँद मुझे-
छत पर नज़र आया था |

हुई सवेर-
मैं उठकर चला आया था-
रूठ बैठा मेरा चाँद मुझसे,
आने के पल-
उसे ह्रदय से जो न लगाया था |

बहुत ख़फ़ा है-
मेरा चाँद मुझसे,
उसके दिल को जो दुखाया था |
पर वो पल -
बेहद हसीं रब ने बनाया था,
कल रात डेढ़ चाँद मुझे-
छत पर नज़र आया था |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'



Monday, September 5, 2022

शिक्षक_ (AMAR BHARAT)

शिक्षक

मिटटी का कोई मोल नहीं-
पत्थर में कोई बोल नहीं,
आकार दे मिटटी को जो-
पत्थर को जो तराश दे,
ज्ञान से हमे नाम दे-
समाज में इक पहचान दे,
अज्ञान नष्ट करने वाले-
ऐसे गुरुजनों का कोई मोल नहीं,
बिन ज्ञान के हम भी थे-
मिटटी, पर मिटटी का कोई  मोल नहीं |

लाखों भी खर्च कर दे मगर-
बिन गुरू के ज्ञान मिलता नहीं,
सच्चा गुरू गर ज्ञान दे-
मन बाधाओं में हिलता नहीं |

कहते है वेद-
बिन गुरू के,
मिलते कहीं भगवान नहीं,
गुरू से मिला ज्ञान जिसको-
बना सदा महान वही |

ईश्वर से पहले-
स्थान जिनका ,
सर्वोपरि सम्मान है-
गुरू है माता-पिता के जैसे-
धरती पर वो ही भगवान है,
मिला गुरू सच्चा जिसको-
कदमो में रहा जहान है |

शिक्षक तिथि की हार्दिक शुभकामनाये |


अम्बरीष चन्द्र  'भारत'





Sunday, September 4, 2022

खुद को आंसुओं से भिगो लूँ (AMAR BHARAT)

खुद को आंसुओं से भिगो लूँ 

लग कर गले मैं तेरे-
खुद को आंसुओं से भिगो लूँ ,
बहुत भारी सा हो गया है-
मन मेरा,
पास बैठकर मैं तेरे-
थोड़ा रो लूँ,
थक चूका हूँ -
दुनिया से, हतास हूँ,
तेरी ज़ुल्फ़ों की छाँव में सो लूँ,
डर लगता है-
ज़िंदगी की हकीकत से,
तेरे चाँद से चेहरे को देखकर-
नैनों की गहराई में खो लूँ ,
लगकर गले तेरे-
जी भर के रो लूँ |

गर न साथ दे-
यार तू,
तो रब की पनाह में हो लूँ,
मिलना है उसी से आखिर में,
तो क्यों न अभी ही -
रुखसत ज़िंदगी से हो लूँ,
लग कर गले मैं तेरे-
खुद को आंसुओं से भिगो लूँ |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'

Friday, September 2, 2022

आज बारिश कुछ यूँ हुई (AMBRISH CHANDRA BHARAT)

आज बारिश कुछ यूँ हुई 


आज बारिश कुछ यूँ हुई -
की दिल को याद- 
तेरी आ ही गयी ,
काश के सिर्फ एक झलक-
 ही मिल जाये तेरी,
दिल में रब से -
फ़रियाद आ ही गयी |

मैं बैठा इक कप चाय लिए-
खोया था तेरे ख्यालों में,
इक भीगी हुयी बला आयी -
भीगे हुए बालों में,

इक नज़र पड़ी उसपर-
नज़रों ने उससे नज़र हटा ली,
मैं देखने लगा बारिश-
घनघोर गर्जन घटा ने ली|

मैं याद करने लगा वो पल-
जब साथ मेरे तुम कभी थी,
इक चाय का प्याला-
जूठा तुम्हारा,
मिठास की न कोई कमी थी |

छत पर जब हम साथ जाते-
बारिश के झीने झरने में नहाते,
भीगे हुए तेरे वो केशू -
उँगलियों से जिनको,
 हम थे सुलझाते |

गालों पर तेरे -
बारिश के मोती,
उँगलियों से थे हम उठाते-
लाल अधर पर -
ठहरे मोती, 
लबों से तेरे चूम जाते |
बारिश जवाँ -
और हुस्न तेरा,
कैसे सनम खुद को बचाते?

तेरी निगाहों का -
मुझपर जादू ,
बारिश का मौसम -
रहे कैसे काबू?
दिल की हालत-
क्या हम बताते?
मेरे कातिल -
हम मर ही जाते |

आज तन्हा बारिश में बैठे-
उन पलों में हम है जाते,
याद कर लेते है उनको-
सांसों को जो मेरी चलाते |

तेरी यादें लिए-
दूर बैठे बारिश से हम,
दिल नहीं कहता है मुझसे-
चल कि तन्हा हम नहाते |
तेरी नज़रे पड़े तो -
बिन बारिश के भी,
हम भीग जाते |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'




Tuesday, August 30, 2022

मदहोश करने के लिए (AMAR BHARAT)

 मदहोश करने के लिए 

एक मयकश निगाह काफी है तेरी -
मुझको मदहोश करने के लिए,
ज़ुल्फ़ों को खोलकर बांधती हो -
मुझे मदहोश करने के लिए |

अच्छा है कि-
लहराओ हसीं ज़ुल्फ़ों को,
मुझे मदहोश करदो,
मेरी हसरत है कि-
चूम लो मेरे होंठों को,
और मुझको बेहोश करदो |

बेशुमार चाहत लिए-
तुझे देखने को ,
मचलता है दिल-
पास आओ रखदो -
सीने पर हाथ ,
मेरे दिल को खामोश करदो |

बाँध कर गेसुओं को-
जो इक लट आज़ाद रखती हो,
कसम रब कि-
मेरे दिल को जीतने का -
हुनर और अंदाज़ रखती हो |

उठाकर लट जो माथे से-
कानों पर  ले जाती हो,
नादान आशिक हूँ तेरा अबोध
क्यों मेरे दिल को बहकाती हो |

बिना आहट के ही तेरी-
हवा जैसे कि पैग़ाम लाती हो,
महफ़िल कि धड़कने खिल उठती हैं-
जो नूर-ए-नज़र आप आती हो |

क़दमों को जकड कर 
रोक लेता हूँ-
ये बढ़ते हैं तुझे,
आगोश में करने के लिए-
एक मयकश निगाह काफी है तेरी-
मुझको बेहोश करने के लिए,
ज़ुल्फ़ों को खोलकर बांधती हो -
मुझे मदहोश करने के लिए |

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'





Sunday, August 28, 2022

चाँद को पाने की हसरत (AMBRISH CHANDRA BHARAT)



चाँद को पाने की हसरत

बेहद हसीं हो तुम-
तुम्हे पाने की चाहत करना 
जैसे चाँद को पाने की-
हसरत बेशुमार है ।

नज़रों ने देखा है- 
तुम्हें जबसे 
इन निगाहों में बस-
तेरा ही खुमार है ।

करके तेरी तारीफ -
तुझे दीवाना करने का वादा है, 
लाकर तुझे आईने के सामने -
तुझे तेरे ही हुस्न के -
वश में करने का इरादा है ।

तू देख नज़रें न हटा -
उस आईने से ,
हो जाएगी बेक़रार तू भी -
बनकर दीवानी सी घूमेगी 
हो जायेगा जब प्यार -
तुझे तुझसे ,
तब शायद-
मेरा दिल- ऐ - हाल 
तू समझेगी ।

क्यों तड़पता है मेरा दिल-
तुझे पाने को ,
क्यों तुझे देखने को 
मेरी नज़रें बेक़रार हैं ?

बेहद हसीं हो तुम-
तुम्हे पाने की चाहत करना 
जैसे चांद को पाने की-
हसरत बेशुमार है ।

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'


दिल बेकरार होता  है 

कोई समझता ही नहीं -
दिल में बेचैनी बेशुमार है 
सिर्फ एक बार तुम्हें देखे -
नज़रों को तेरा इंतज़ार है ।

क्या जाने वो कि -
कैसा दिल का हाल होता है ?
तड़प , रात- दिन -
ख़ामोशी मन की गहराई में 
ख़्वाहिश सिर्फ इतनी 
की सुनूँ आवाज़ तेरी 
न जाने क्यों तेरी खातिर -
मेरा मन ये रोता है ?
क्या जाने तू  कि -
कैसे दिल बेहाल होता है ?

देखलूं बस इक बार रूप तेरा -
मन में बसी जैसे 
कस्तूरी हो मृग भीतर -
तलाशता फिरूं फिर भी ,
न मिले -
ये प्रेम है -
ऐसा ही हर दिल का
हाल होता है ।

तड़प हर क्षण रहे मन में -
ऐसा हसीं प्यार होता है, 
की वो जो अपना सा है- 
उसकी खातिर 
दिल बेकरार होता है ।

अम्बरीष चन्द्र  'भारत'

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