Tuesday, August 30, 2022
मदहोश करने के लिए (AMAR BHARAT)
Sunday, August 28, 2022
चाँद को पाने की हसरत (AMBRISH CHANDRA BHARAT)
Friday, August 26, 2022
तो कुछ और बात है (AMBRISH CHANDRA BHARAT)
Wednesday, August 24, 2022
मेरे दिल की ख़ुशी तुम क्या जानो (AMAR BHARAT)
मेरे दिल की ख़ुशी तुम क्या जानो
मेरे दिल की ख़ुशी -
तुम क्या जानो ?
दीवाने को है चाँद मिला -
मेरा रोम-रोम ये-
महक उठा,
पतझड़ में ज्यों -
फूल खिला |
दिन बीते कई कठिनाई में-
रातें बीती तन्हाई में,
जब आज नज़र भर -
देखा तुमको,
तन मन में भर आई
"मय" |
अब झूम रहा हूँ-
ख़ुमार लिए,
हर साँस में तेरा-
प्यार लिए |
कई दिन की तलब-
अब शांत हुई,
तेरी नज़र की जब-
बरसात हुई |
इक क्षण में-
खुद से सौ बात हुई,
हर बात में -
तेरी ही बात हुई |
मेरा दिल दीवाना है तेरा-
दीवाने की भी कुछ मानो,
मैं बयां करूँ-
आँखों से ख़ुशी,
मेरे दिल की ख़ुशी-
तुम क्या जानो ?
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'
Sunday, August 21, 2022
खो गया है कुछ (AMBRISH CHANDRA BHARAT)
खो गया है कुछ
खो गया है कुछ-
जो ढूंढता हूँ मैं,
आवारा था बचपन -
या अब
आवारा घूमता हूँ मैं?
खो गया है कुछ-
जो ढूंढता हूँ मैं |
बेफिक्र होकर जीते थे तब-
यारों का साथ था अपना,
बस, खेल थक कर-
खाकर सोते और देखते सपना,
अब कुछ नहीं है-
यार भी सब दूर रहते हैं,
फिर भी न जानूं -
घर के सब क्यों ,
आवारा कहते हैं?
बचपन तो था -
तबतक हमारा,
जबतक नौकरी की बला न थी,
बचपन गया-
जवानी ले डूबी,
इक नौकरी की मार ने-
इस बरस, अगले बरस,
अगले के अगले कितने बरस,
नौकरी देगी -
वादा किया सरकार ने|
निशिचर बने रातों जगे-
नौकरी के इंतज़ार में,
कितने कुंवारे -
प्यार खोये,
मामा बने बेकार में |
अब बिना ख्वाहिश के ही-
दर बदर झूमता हूँ मैं,
खो गया सब कुछ मेरा जो-
फिर वही ढूंढता हूँ मैं |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'
Friday, August 19, 2022
आती है तेरी याद (AMAR BHARAT)
आती है तेरी याद
आती है तेरी याद-
इस कदर मुझको,
रोता है दिल-
आँखों में सूखे आंसू,
कुछ तो बता मुझे-
ग़म अपना सुनाऊँ किसको ?
ग़म ये जुदाई का -
सहा न जाये अब मुझसे ,
बढ़े तड़प और मेरी-
तन छोड़ आये रूह,
मिलने को सिर्फ तुझसे |
जीना भी मेरा क्या है?
तन तड़पे यहाँ-
रूह बसती वहां,
नैन जागे हैं पल-पल-
और बरसे यहाँ |
लग जाऊँ गले-
भूल जाऊँ मैं सब कुछ,
तेरे प्रेम को-
रोम-रोम तरसे यहाँ |
अच्छा तो होगा ये भी-
मिट जाये मेरा तन,
समझेगी शायद तब तू-
प्रेम करता था तुझको मन |
हवस न तेरे तन की-
तन मिलते है बाजार में,
चाहत तो दिल की है इतनी,
लगाकर गले तुझे,
अमर हो जाऊँ मैं प्यार में |
न होने पर दुनिया में -
अहसास होगा तुझको,
पागल था एक ऐसा -
जो मरकर भी चाहे तुझको,
आती है याद तेरी-
इस कदर मुझको,
रोता है दिल मेरा-
आँखों में सूखे आंसू,
कुछ तो बता मुझे-
ग़म अपना सुनाऊँ किसको ?
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'
Wednesday, August 17, 2022
फिक्र नहीं तुझको कोई (AMAR BHARAT)
फिक्र नहीं तुझको कोई-
फिक्र नहीं तुझको कोई-
आंसू तेरे लिए कोई बहाता है,
इक खुश है दुनिया में अपनी-
एक आँखों को अपनी जगाता है |
प्यार में ऐसा क्यों होता -
इक रोता देखने की खातिर,
इक बार भी सामने न आकर-
दूजा क्यों रुलाता है ?
खुश है मुझ बिन ये जानता हूँ-
फिर क्यों प्यार जताता है ?
फुर्सत मिले जो दुनिया से,
तब प्यार ज़रा सा दिखाता है |
वादा करके देर से आये-
फिर मुझपर ही चिल्लाता है,
अजब प्यार की गाथा है वो-
प्यार में बना विधाता है |
वो रूठे तो सौ जतन करूँ-
हर तरह से उसको मनाता हूँ,
मैं रूठूँ तो कहे मुझे,
जब ख़त्म हो गुस्सा तब कहना-
थोड़ा जरुरी बात सुनाता हूँ |
कभी-कभी लगता दिल को-
प्यार नहीं व्यापार है ये,
कोई फर्क नहीं पड़ता उसको-
रूठूँ या मानूं मैं उससे,
लाचार दिल क्या करे कहो-
व्यथा कहे अब किससे,
बस प्यार दिए जाऊं उसको-
कोई उम्मीद न रखूं मैं उससे |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'
Tuesday, August 16, 2022
तेरा रूठना (AMBRISH CHANDRA BHARAT)
तेरा रूठना
तेरा रूठना कि-
लगे सारा जहाँ-
हाथों से फिसला जा रह है|
तेरा बात न करना-
की लगे मेरा दम,
निकला जा रहा है|
तू है तो बनेंगे-
कई महल लेकिन,
इक तेरे न होने से-
मेरे दिल का घर,
उजड़ा जा रहा है |
हवा चले-
आंधियां आये ,
तूफ़ान कोशिश करे पूरी,
पर अटल हूँ मैं,
सिर्फ इक साथ हो तेरा,
तेरे दूर जाने से लेकिन-
मेरी सांसों से-
मेरा जीवन बिखरा जा रहा है |
तेरा रूठना की-
लगे सारा जहाँ,
हाथों से फिसला जा रहा है |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'
तेरे दिल की तू जाने (AMAR BHARAT)
तेरे दिल की तू जाने
तेरे दिल की तू जाने -
मुझे क्या पता?
पर, मेरे दिल की हर इक-
मंज़िल है तुझसे |
मिले तो मिले मुझको -
साथ तुम्हारा,
तेरे बिन जाये-
सांस मेरी मुझसे|
तेरी ही हंसी में-
सारा जहाँ है,
देखकर नैन तेरे-
सुकून मिलता यहाँ है,
है तू जहाँ -
स्वर्ग मेरा वहां है|
रूठती है तू-
क्यों न बोलती है मुझसे?
कुछ तो सुना-
मेरी क्या खता है?
तेरे दिल की तू जाने-
मुझे क्या पता है?
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'
पास तू आए- (AMAR BHARAT)
पास तू आए
पास तू आए-
जाने न दू मैं,
शाम-ओ-सुबह तुझको-
देखा करूँ मैं,
नजरों को अपनी -
यही काम दूँ मैं,
दिल को अपने-
आराम दूँ मैं|
करके बहाना -
तुझे रोक लूँ मैं,
जाने लगे जो-
संग चलूँ मैं,
बैठ कहीं तू-
कुछ बाते करूँ मैं,
हंसी तेरी देखूं-
और ज़िंदा रहूं मैं|
चेहरे पर तेरे-
गम को आने न दूँ मैं,
पास तू आये -
और जाने न दूँ मैं|
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'
Thursday, August 11, 2022
आ गई हो तुम.. (AMAR BHARAT)
आ गई हो तुम..
आ गई हो तुम ,
तो मेरी जान आ गयी है,
जा रही थी आश मेरी,
अब आश आ गयी है|
मेरे जीने का अब इक-
सहारा हो तुम,
देखकर तुमको -
मेरी सांस आगई है,
आ गयी हो तूम -
तो मेरी जान आ गयी है|
तेरे इंतज़ार में मैं कबसे बैठा यहाँ -
न आई तुम पहले -
थी इतनी देर से बोलो कहाँ?
कैसे तुझ बिन तड़प रहा था यहाँ-
फूलों से कर रहा हूँ बातें,
हर कोई मुझे पागल समझे यहाँ|
अकेला होकर भी-
तेरे साथ मानो चल रहा यहाँ,
आने से तेरे देखो बदल गया मेरा जहाँ|
बन गई है फूल कलियाँ -
भौरें गीत गए रहे यहाँ,
खुशबू बिखर रही,
तुम जाती हो जहाँ-जहाँ|
तेरे आने से ही-
ये बहार आ गई है,
आ गए हो तुम-
तो मेरी जान आगई है,
जा रही थी आश मेरी-
वो आश आ गयी है|
दिल पर पैग़ाम ..(AMAR BHARAT)
दिल पर पैग़ाम
क्यों पुकारा हमें -
इतनी मोहब्बत से तुमने?
हुए बेसहारा -
जादू किया ऐसा-
शब्दों से तुमने|
तेरी फूल सी खुशबु-
महसूस कर लगे हम सोने,
मालूम था शहर का जर्रा-जर्रा,
पर देख कर तुझे -
लगे हम ख्वाब में खोने|
की तुझे ढूंढते हुए-
गलियों में लगे हम खोने,
न मिली तू हमे-
तो लगे हम पागल होने|
हर पल तू मेरी आँखों में होती,
बन हवा तू मेरी सांसो में सोती,
नाम सुन लूँ तेरा किसी से-
एक हलचल सी होती,
दिल में ख़ुशी से,
चमक उठती मेरी आंखे ऐसे-
मिले राह अंधियारे में जैसे|
अब नहीं चाहत मुझे-
कुछ और पढ़ने की कभी,
दिल पर तेरा नाम लिखा है,
प्यार का पैग़ाम लिखा है-
और क्यों कुछ मैं पढूं,
रब का सच्चा नाम लिखा है|
दिल पर मेरे तेरा नाम लिखा है-
प्यार का पैग़ाम लिखा है|
Tuesday, August 9, 2022
दिल प्यार में परिंदा है.. (AMAR BHARAT)
दिल प्यार में परिंदा है।
Monday, August 8, 2022
कहो तो जीना छोड़ दूँ...(AMAR BHARAT)
कहो तो जीना छोड़ दूँ?
इक तुम्हें देखकर ही.. (AMAR BHARAT)
इक तुम्हें देखकर ही
गुलाम... (AMAR BHARAT)
गुलाम
तेरी नज़रों का मैं-
गुलाम हो जाऊँ,तुझे देखते ही-सजदे में तेरे, मेरा सिर झुके,तू बने रब मेरा -मैं तेरा सलाम हो जाऊँ ,तेरी नजरों का मैं गुलाम हो जाऊँ |
एक ख्वाहिश है मेरी -ये अंतिम साँस तक ,तेरी एक नज़र मुझपर पड़े-तू मुस्कुरा के यूँ देखे,की मेरी सांसो को -ज़िंदगी भर का आराम हो जाये,ये धड़कन चले तो सिर्फ-तेरी चाहत के लिए ,जो न हो चाहत कभी -तुझे देखने की ,उस पल के आने से पहले -मेरी धड़कन,मेरी सांसो का -विराम हो जाये |
तेरी मोहब्बत का मैं -अफसाना सरे - आम गाउँ,है ये ....उसका दीवाना ,हाँ -हाँ उसका दीवाना -
सब लोग कहें ,इस कदर तेरी चाहत में -बदनाम हो जाऊँ ,
तेरी नज़रों का मैं -गुलाम हो जाऊँ | -:अम्बरीष चन्द्र भारत
गुलाम हो जाऊँ,
यूँ तो किसी के जाने से ... (AMAR BHARAT)
यूँ तो किसी के जाने से
यूँ तो किसी के जाने से -
ज़िंदगी किसी की रूकती नहीं,
सिर्फ तुमने इतना कहा-
साँसे मेरी थमने लगी |
बिन तेरे जो सांस चलती-
वो सांस बोझल लगने लगी |
महसूस ये मैंने किया-
तुझ बिन ये दिल कैसे जिया?
ये सोचकर साँसे बढ़ने लगी-
नश-नश मेरी जमने लगी|
शरीर का तुम हाल छोड़ो-
रूह भी कंपने लगी,
तुझसे जुदा होने की सुन-
मेरी ज़िंदगी ड़रने लगी |
नैनों में दो आंसू बहे-
मेरे दिल की जो व्यथा कहे,
तुझबिन जिए तो क्या जिए?
मेरा रोम-रोम मुझसे कहे |
लागी लगन तेरे प्रेम की,
जन्मों की है ये बुझती नहीं,
क्यों कहा तुमने शब्द निष्ठुर -
किसी के जाने से -
ज़िंदगी रूकती नहीं?
तू न जाने हाल उनका -
जिनका अपना कोई बिछड़े,
ज़िंदा रहते वो मगर-
दुनिया सारी उनकी उजड़े |
तू न जाने हाल उनका -
जिनका कोई अपना नहीं,
जी रहे बेबस वो ऐसे,
जैसे की कोई सपना नहीं |
यूँ तो जाने से किसी के -
ज़िंदगी रूकती नहीं,
साँसों की लेकिन पीड़ा भी,
चुभती है हरपल -
छुपती नहीं |
:अम्बरीष चन्द्र "भारत"
love all, hate none. |
इक अहसास... (AMAR BHARAT)
इक अहसास..
तुम मुझसे दूर हो-
लेकिन अहसास हो तुम,
तुम मेरे पास न होकर भी-
मेरे पास हो तुम |
तुम सा मिलना सारे जहाँ में-
मुश्किल नहीं, नामुमकिन भी है,
तुम जो मुझसे दूर जाओ-
सांस रुकना मुमकिन तो है |
तुम जो मेरे पास हो तो-
चाहत भी न है
अब किसी की ,
मेरी हर धड़कन भी अब-
धड़कती है आपके नाम ही की,
बिन तेरे मेरी ये ज़िंदगी-
है किस काम की,
रूह बिन शरीर जैसे-
मिटटी ही है बस नाम की |
प्रेम तो एक डोर है-
मुश्किल में भी विश्वाश की,
आँखों में सजती अपनी दुनिया-
दीपक जलाकर आश की |
रब से मांगू तुमको सदा-
मेरे दिल की वो अरदास हो तुम,
जीवन का मेरे इक हसीं-
अहसास हो तूम |
दूर होकर भी मेरे पास हो तुम-
मेरे प्यार का अहसास हो तुम,
तुम पास न होकर भी-
मेरे पास हो तुम |
अम्बरीष चन्द्र 'भारत'
आज जी भर कर जी लेता हूं
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